खनकी,झनकी,लिपटी मुझसे पियकी चुटकी चटकी सि भली
हलकी फुलकी छलकी बलकी, ठुमकी सिमटी सलकी सि कली
Comment
वर्णिक प्रयास तो उचित है और सुझाव भी बहुत सटीक दिये हैं अरुन अनन्त भाई ने.
लेकिन मैं कथ्य को ही ले कर भ्रमित हूँ कि रचनाकार आखिर कहना क्या चाहते हैं !
शुभेच्छाएँ
आदरणीय आशीष भाई , सुन्दर छंद रचना के लिये आपको बधाई ॥
आशीष भाई दुर्मिल सवैया पर अच्छा प्रयास है प्रयासरत रहें सुधार हो जायेगा कुछ त्रुटियाँ हैं जो इंगित कर रहा हूँ.
अंधरी और धुंधरी की मात्रा २१२ होती हैं इन्हें अँधरी और धुँधरी करने से ठीक हो जायेगा.
निकरी निय टोकरि प्रेम पिया, केहि कारण टोकरि बीच जली .. इस पंक्ति में मात्रा ठीक नहीं है नियमानुसार पुनः देख लें.
Shyam Narain Verma: aabhaar
maine pehli baar in chhando ki likha hai koi shilp par apni tippani karke kuch trutiyan batayeihn ji
बहुत सुंदर भाव, बधाई.... |
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