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नव वर्ष किरण फिर आशा की लेकर आया

उत्थान पतन के बीच साल फिर बीत गया,
बस आशा और निराशा के संग बीत गया।
कुछ दु:ख मिले कुछ आहत मन उल्लसित हुआ,
वह सुख मिले बस इंतजार में बीत गया। 
नव वर्ष किरण फिर आशा की लेकर आया,
जनगण मन के मन-मन में फिर उल्लास जगा। 
यह जगा रहे उल्लास पूर्ण हो अभिलाषा,
जनता की भाषा बने तंत्र की परिभाषा। 
अपराध न हो, हर नारी को सम्मान मिले, 
हर मुरझाए चेहरे को भी सनमान मिले।
मंहगाई, भ्रष्टाचार, दु:ख छू मंतर हो,
नव वर्ष हर्ष सुखदायक हो मत अंतर हो।

...........इन्ही कामनाओं के साथ सभी मित्रों-शुभचिंतकों को वर्ष २०१४ की हार्दिक मंगलकामनाएं। 

अतुल अवस्थी
-9838642000

"मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by अरुन 'अनन्त' on January 3, 2014 at 4:31pm

आदरणीय अवस्थी सर सुन्दर भाव शानदार रचना बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by vandana on January 3, 2014 at 5:42am

बहुत सुन्दर भावों से सजी रचना आदरणीय अतुल जी 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 2, 2014 at 10:10pm

आदरणीय अतुल जी, नववर्ष की शुभकामनाओं के साथ बधाई स्वीकारें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 2, 2014 at 9:18pm

आदरनीय , सुन्दर आशाओं , अभिलाशाओं से सजी आपके रचना के लिये आपको बधाई ॥ नव वर्ष की आपको भी शुभ कामनायें ॥

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on January 2, 2014 at 11:34am

आदरणीय अतुल  भाई , नया वर्ष आपके व पूरे परिवार के लिए मंगलदायी  हो॥ सुंदर रचना की हार्दिक बधाई॥ .......सप्रेम राधे- राधे ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 2, 2014 at 9:52am

बहुत अच्छी प्रस्तुति नववर्ष आपके लिये मंगलमय हो इस शुभकामनाओं के साथ

Comment by coontee mukerji on January 2, 2014 at 1:08am

उत्थान पतन के बीच साल फिर बीत गया,
बस आशा और निराशा के संग बीत गया।
कुछ दु:ख मिले कुछ आहत मन उल्लसित हुआ,
वह सुख मिले बस इंतजार में बीत गया। 
नव वर्ष किरण फिर आशा की लेकर आया,
जनगण मन के मन-मन में फिर उल्लास जगा। ......बहुत सुंदर प्रस्तुति.
ष २०१४ की हार्दिक मंगलकामनाएं। .....सदर

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