For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ज़िन्दगी तो रोज़ गम ही बाँटती है ( ग़ज़ल ) गिरिराज भंडारी

2122     2122      2122

जब उजाला चाहते थे सब दिये से

क्यों अँधेरा बंट रहा है हाशिये से

 

था क्षणिक उन्माद मैं ये मान भी लूँ

मूँद लोगे आँखें क्या अपने किये से ?


बोझ से कोई गिरा, कोई नशे में  

फर्क मुश्किल है, पिये का बेपिये से


ज़िंदगी तो रोज़ आँसू बाँटती है

हम चुराते हैं हँसी हर वाक़िये से


ये इलाज -ए- जख्म कैसा हो रहा है

क्यों ज़ियादा दर्द होता है, सिये से


हाँ ग़ज़ल कहने की कोशिश है मेरी भी 
डर मगर लगता है  ऐसे  काफिये से

 

      **************

मौलिक एवँ अप्रकाशित ( संशोधित )

Views: 821

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 10, 2013 at 3:43pm

आदरणीय जितेन्द्र भाई , गज़ल की सराहना और हौसला अफज़ाई के लिये आपका तहे दिल से बधाई !!!!!

Comment by Nilesh Shevgaonkar on December 10, 2013 at 3:13pm

बहुत ख़ूब आदरणीय ..
किसलिये में, जिए में ...वो रस नहीं आया, जो आप की ग़ज़लों में मिलता है...
सिर्फ वाह वाह कर के आगे बढ़ जाना मुनासिब न लगा .... अत: ये टिप्पणी की है ...
थोडा समय और मांग रही है ग़ज़ल अभी ..
.
बोझ से कोई गिरा कोई नशे से ... ऐसा करने से गय्यता बढ़ जाएगी .. ऐसा मुझे लगता है. 
कृपया अन्यथा न लें
सादर  

Comment by Neeraj Neer on December 10, 2013 at 9:45am

हम  उजाला चाहते थे  हर दिये में

इसलिये तो  हम पडे  हैं हाशिये में..  बहुत बढ़िया,शुरुआत ही बहुत जबर्रदस्त.  सुन्दर ग़ज़ल .. बधाई आदरणीय 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 10, 2013 at 8:40am

बहुत बढ़िया गजल आदरणीय गिरिराज जी, यह खास पसंदीदा हुए दिली दाद कुबूल कीजिये

हम  उजाला चाहते थे  हर दिये में

इसलिये तो  हम पडे  हैं हाशिये में

 

ज़िन्दगी  तो रोज़ गम  ही बाँटती है

हम ही हँस लेते हैं हर इक वाक़िये में

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 10, 2013 at 7:44am

आदरणीय राम शिरोमणी भाई , हौसला अफज़ाई के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!!!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 10, 2013 at 7:43am

आदरणीय सुशील भाई, हौसला अफज़ाई के लिये आपका शुक्रिया !!!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 10, 2013 at 7:43am

आदरणीय सुशील भाई, हौसला अफज़ाई के लिये आपका शुक्रिया !!!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 10, 2013 at 7:41am

आदरणीय शिज्जू भाई , गज़ल की सराहना के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!!!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 10, 2013 at 7:40am

आदरणीया मीना जी , उत्साह वर्धन के लिये आपका आभारी हूँ !!!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 10, 2013 at 7:39am

आदरणीय चन्द्रशेख्रर भाई , गज़ल की सराहना और उत्साह वर्धन के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!!!!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय नीलेश भाई , खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई आपको "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय बाग़पतवी भाई , बेहतरीन ग़ज़ल कही , हर एक शेर के लिए बधाई स्वीकार करें "
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । आपके द्वारा  इंगित…"
4 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"सादर प्रणाम आप सभी सम्मानित श्रेष्ठ मनीषियों को 🙏 धन्यवाद sir जी मै कोशिश करुँगा आगे से ध्यान रखूँ…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय सुशील सरना सर, सर्वप्रथम दोहावली के लिए बधाई, जा वन पर केंद्रित अच्छे दोहे हुए हैं। एक-दो…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सुशील सरना जी उत्सावर्धक शब्दों के लिए आपका बहुत शुक्रिया"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय निलेश भाई, ग़ज़ल को समय देने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया। आपके फोन का इंतज़ार है।"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"मोहतरम अमीरुद्दीन अमीर 'बागपतवी' साहिब बहुत शुक्रिया। उस शे'र में 'उतरना'…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर,ग़ज़ल पर विस्तृत टिप्पणी एवं सुझावों के लिए हार्दिक आभार। आपकी प्रतिक्रिया हमेशा…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, ग़ज़ल को समय देने एवं उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए आपका हार्दिक आभार"
8 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा

आँखों की बीनाई जैसा वो चेहरा पुरवाई जैसा. . तेरा होना क्यूँ लगता है गर्मी में अमराई जैसा. . तेरे…See More
8 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service