मैं बहुत हेट करती हूँ ……………
हेट हेट हेट
हाँ
मैं बहुत हेट करती हूँ
ये लव
मुहब्बत
और
प्यार जैसे
सब लफ़्ज़ों से
मुझे हेट होती है
क्या मिलता है आखिर
इन लफ़्ज़ों को ज़िंदगी भर
अपने सीने से लगाकर
अपनी साँसों का
हमदर्द बनाकर
मिलता है तो बस
अश्कों का साथ
तन्हाई की रात
रुसवाई की सौगात
क्या यही इसका अंज़ाम है
मैंने कब चाहा था कि
मेरी पलकों को
सागर सी मुहब्बत का स्वपन मिले
मुझे तो बस
जुगनू से मासूम प्यार की
अभिलाषा थी
एक छोटा सा दिल था
एक छोटी सी आशा थी
प्रणय पंथ पर
असीमित अनुभूतियों के
एक स्पर्श की चाहत थी
क्योँ कोई शूल
स्नेह के आवरण में
अपने ही पुष्पदल को
क्षत विक्षित कर देता है
और दे देता है
उसकी महक को
एक एकांत
और
स्वप्निल आँखों के रेतीले किनारों पर
कभी न सूखने वाला
नमी का तूफ़ान
नहीं मैं ये सब सहन न कर पाऊंगी
सितारों भरी रात से
मैं तन्हा न बतिया पाऊँगी
शायद इसीलिये मैं
प्यार के आमंत्रण को
नेगलेट करती हूँ
और
इन स्वार्थी शब्दों से हेट करती हूँ ,
हेट करती हूँ ………
सुशील सरना
''मौलिक एवं अप्रकाशित ''
Comment
Dr.Gopal Narayan Shrivastav jee rachna aapkee gahan aur saarthak prtikriya ka haardik aabhaar.Sir kshma sahit ye rachna ke charitr ka bhaav hai n ki rachnaakaar kee kuntha.....is bhaav ko kripya rachna ke charitr kee nazar se dekhain.....aapkee is smekshatmak pratikriya ka haardik aabhaar ...kripya anytha n levain...sneh bnaaye rakhain
aa.Brijesh Neeraj jee rachna par aapkee aatmeey prashansa ka haardik aabhaar. aadrneey rachna men angrezee ke shabdon ka pryog bilkul bhee zrooree naheen hai . maine chand shabdon ko pryog ke roop men kaam men liya hai. baaki 'neglect' shabd ko aam bolchaal kee bhasha ke roop men pyog kiya hai...vaise iska shee roop निग्लेक्ट hai.....kripya meree kisee baat ko anytha n levain....aapka sujhaav mere liye amuly hai....ye maatr pryog tha...aapne ismen ruchi dikhaaee,sanshodhan sujhaaya,aapka main tahe dil se aabhaaree hoon
Dr.Ashutosh Mishra jeerachna par aapkee madhur pratikriya ka haardik aabhaar
बेहतरीन ..पढ़कर आनंद आ गया ..सादर बधाई
अच्छी कविता है. आपको हार्दिक बधाई!
अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग अब जरूरत हो गयी है. शायद उसके बिना सही अभिव्यक्ति नहीं हो पाती.
'नेगलेट' इस शब्द की वर्तनी देख लें.
सुशील जी
आप हेट तो नहीं करते
आपकी कुंठा हुई जो ऐसा कहला रही है
मै तो इतना ही कहूँगा कि
कुंठत्व जायेत गुणः कवीनाम i
Meena Pathak jee rachna par aapkee aatmeey prashansa ka haardik aabhaar
क्या बात है ... बहुत खूब | बधाई कुबुलें आदरणीय
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