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शायद प्रेम वही कहलाये.....(अरुण कुमार निगम)

पूर्ण शून्य है,शून्य ब्रह्म है

एक अंश सबको हर्षाये

आधा और अधूरा होवे,

शायद प्रेम वही कहलाये

 

मिट जाये तन का आकर्षण

मन चाहे बस त्याग-समर्पण

बंद लोचनों से दर्शन हो

उर में तीनों लोक समाये

 

उधर पुष्प चुनती प्रिय किंचित

ह्रदय-श्वास इस ओर है सुरभित

अनजानी लिपियों को बाँचे

शब्दहीन गीतों को गाये

 

पूर्ण प्रेम कब किसने साधा

राधा-कृष्ण प्रेम भी आधा

इसीलिये ढाई आखर के

ढाई ही पर्याय बनाये .....

 

अरुण कुमार निगम

आदित्य नगर, छत्तीसगढ़

[मौलिक व अप्रकाशित]

Views: 777

Comment

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Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 21, 2013 at 9:40am

सच! अति सुंदर भाव  , पूर्णत: प्रेम की परिकाष्ठा को परिभाषित करती हुयी रचना पर बधाई स्वीकारें आदरणीय अरुण जी

Comment by Vindu Babu on November 21, 2013 at 5:51am
आदरणीय निगम सर सादर नमस्कार।
प्रेम की अद्भुत व्याख्या प्रस्तुत करते हुए इस सुन्दर गीत क लिए आपको सादर बधाई...
सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 20, 2013 at 9:37pm

पूर्ण प्रेम कब किसने साधा

राधा-कृष्ण प्रेम भी आधा

इसीलिये ढाई आखर के

ढाई ही पर्याय बनाये .....

 वाह वाह बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ,बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर प्रस्तुति पर अरुण निगम जी 

Comment by ram shiromani pathak on November 20, 2013 at 9:33pm

आदरणीय अरुण निगम  जी,आपकी रचनाएं पढ़ाकर सदैव कुछ न कुछ सीखने को मिलता  है  बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति हार्दिक बधाई  आपको। …… सादर 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 20, 2013 at 9:01pm

निगम जी

आपकी कविता में लौकिक और अलौकिक दोनों ही प्रेम स्पंदित है  i

आध्यात्मिक टच  अद्भुत है  i स्नेह i


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on November 20, 2013 at 8:51pm

वाह आदरणीय अरुण सर बेहतरीन गीत,आपको बहुत बहुत बधाई

Comment by Neeraj Neer on November 20, 2013 at 7:55pm

वाह बहुत उत्कृष्ट रचना ,   प्रेम तत्व से जगत बना ..

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on November 20, 2013 at 2:48pm

आदरणीय अरुण सर सादर प्रणाम

आपकी इस सुन्दर प्रस्तुति पर बहुत बहुत बधाई आपको

बहुत सुन्दर तरीके से प्रेम को परिभाषित किया है आपने इक इक बंद प्रेम मय है वाह अद्भुत

Comment by Sarita Bhatia on November 20, 2013 at 2:39pm

वाह वाह गुरुदेव प्रेम की सच्ची परिभाषा समझाती हुई रचना 

Comment by annapurna bajpai on November 20, 2013 at 12:26pm

सुंदर भावभिव्यक्ति , बधाई आपको आ0 अरुण कुमार निगम जी । 

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