For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरी चाहतें यूँ निखार दे, मेरी शाम कोई सँवार दे- शिज्जु

11212- 11212- 11212- 11212

 

मेरी चाहतें यूँ निखार दे, मेरी शाम कोई सँवार दे

सरे बाम चाँदनी है खिली, मेरे दिल पे कोई उतार दे

 

करे रौशनी इन अँधेरो मे, ये चिराग यूँ जले उम्र भर

वो ज़िया सा ताब दे ऐ खुदा, उसे चाँद सा तू वक़ार दे

 

उसे देखता हूँ चमन-चमन, कि रविश-रविश मैं करूँ कियाम

कभी खुश्बुएँ वो बिखेर दे, मुझे शबनमी सी फुहार दे

 

वो खुली ज़मीन खिला चमन, वो हवा, महकती हुई फ़िज़ा

वही साअतें करे फिर अता, मुझे फिर खुदा वो बहार दे 

 

ये नया-नया सा लगे है तर्जे सितमगरी मेरे दोस्तो

कि वो बेखबर मुझे ज़िन्दगी के लिये दुआ सरे-दार दे

 

ये उदासियाँ तो नसीब है, कभी इनसे तू न गुरेज कर

इन उदासियों को समेट ले, शबे बेकराँ यूँ गुज़ार दे

 

 

साअतें= पल, क्षण, ज़िया= सूर्य का प्रकाश, वक़ार= प्रतिष्ठा

सरे-दार= सूली पर, बेकराँ= असीम, रविश= बाग के अंदर की पगडंडी

 

-मौलिक व अप्रकाशित

 

 

 

Views: 1008

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 19, 2013 at 7:26pm

भाई शिज्जू.. मुग्ध मुग्ध मुग्ध ! मैं प्रस्तुति को पढ़ लेने के बाद से अतिरेक में हूँ.
बस आप ऐसे ही प्रयासरत रहें.
खेद है कि अपनी व्यस्तता के कारण देर से आपकी ग़ज़ल पर आ पाया.
शुभ-शुभ

Comment by vijay nikore on November 19, 2013 at 10:30am

इस सुन्दर गज़ल के लिए बधाई, आदरणीय शिज्जू जी।

 

सादर,

विजय निकोर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on November 18, 2013 at 9:34pm

जनाब नादिर भाई हौसलाअफ़्ज़ाई के लिये आपका तहे-दिल से शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on November 18, 2013 at 9:34pm

महिमा जी आपका आभार 

Comment by नादिर ख़ान on November 18, 2013 at 9:21pm

उसे देखता हूँ चमन-चमन, कि रविश-रविश मैं करूँ कियाम

कभी खुश्बुएँ वो बिखेर दे, मुझे शबनमी सी फुहार दे

 

वो खुली ज़मीन खिला चमन, वो हवा, महकती हुई फ़िज़ा

वही साअतें करे फिर अता, मुझे फिर खुदा वो बहार दे 

आदरणीय  शिज्जू  जी, बहुत खूब.........

शानदार ग़ज़ल, बार -बार पढ़ने को जी चाहता है ।

Comment by MAHIMA SHREE on November 18, 2013 at 9:15pm

वाह बहुत ही खुबसूरत ... गज़ल आदरणीय शिज्जू जी हार्दिक बधाई स्वीकार करें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on November 18, 2013 at 9:00pm

आपका बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय अनुराग जी

Comment by डॉ. अनुराग सैनी on November 18, 2013 at 7:27pm

वाह ! वाह ! मन को छू गयी कई बार पढ़ लिया है मन ही नहीं भर रहा है 

क्या कहूँ तारीफों में शब्द नहीं है मेरे पास 

मजा आ गया बड़े भाई जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on November 18, 2013 at 5:19pm

आदरणीय डॉ.आशुतोष सर आपका बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 18, 2013 at 5:09pm

आदरणीय शिज्जू जी .बेहतरीन चुनिन्दा उर्दू के शब्दों से सजी सम्बरी एक बेहतरीन ग़ज़ल ..धीरे धीरे पढ़ा लुत्फ़ के साथ पढ़ा और सीखा ..इस बहर पर मैंने शायद ही कोई ग़ज़ल पढी थी ..शब्दों से आप मन में उठे भावों का चित्र बनाने में पूरी तरह कामयाब रहे हैं ..आपको ढेरों बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
1 hour ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
1 hour ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
1 hour ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
23 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service