For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - अक्षरों में खुदा दिखाई दे !

ग़ज़ल –

२१२२ १२१२ २२

अक्षरों में खुदा दिखाई दे

अब मुझे ऐसी रोशनाई दे |

 

हाथ खोलूं तो बस दुआ मांगूँ,

सिर्फ इतनी मुझे कमाई दे |

 

रोशनी हर चिराग में भर दूं ,

कोई ऐसी दियासलाई दे |

 

माँ के हाथों का स्वाद हो जिसमें,

ले ले सबकुछ वही मिठाई दे |

 

धूप तो शहर वाली दे दी है,

गाँव वाली बरफ मलाई दे |

 

बेटियों को दे खूब आज़ादी ,

साथ थोड़ी उन्हें हयाई दे |

 

तल्ख़ लहजा तमाम लोगों को,

मीर दे मीर की रुबाई दे |

 

दर्द होरी सा दे रहा है तो,

साथ धनिया सी एक लुगाई दे |

 

घूस के सौ दहेज़ से बेहतर,

अपने हाथों बनी चटाई दे |

       *सर्वथा मौलिक - अप्रकाशित .

       (c)&(p)  - अभिनव अरुण .

      

Views: 1069

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on November 17, 2013 at 12:42am

अक्षरों में खुदा दिखाई दे

अब मुझे ऐसी रोशनाई दे |

 

हाथ खोलूं तो बस दुआ मांगूँ,

सिर्फ इतनी मुझे कमाई दे |

 

रोशनी हर चिराग में भर दूं ,

कोई ऐसी दियासलाई दे |

 

माँ के हाथों का स्वाद हो जिसमें,

ले ले सबकुछ वही मिठाई दे |//////वाह वाह वाह आदरणीय बहुत खूब 

वाह वाह वाह आदरणीय अभिनव अरुण जी  बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल कही आपने  /// हार्दिक बधाई  आपको///सादर  


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 16, 2013 at 9:53pm

दर्द होरी सा दे रहा है तो,
साथ धनिया सी एक लुगाई दे ..
इस शेर पर दिल-जान सब क़ुर्बान कर दूँ भाई.. फिर भी मन में ये कचोट बना रहे कि काश कुछ और लुटा पाते.

ग़ज़ल जब दिल से हो तो उसकी तासीर गहरे तक असर करती है. यही कुछ हुआ है इस दफ़े. बह्र छोटी लेकिन मेयार वाह वाह.. .

लेकिन साथ ही एक कण्ट्रोवर्सी पैदा कर दूँ ? शहर वाले बरफ़ खाने लगे क्या ? !!
ख़ैर छोड़िये.. .. हा हा हा हा हा... मैं जानता हूँ आप समझ गये हैं.
:-)))))))))))

दिल से बधाई ..

Comment by SALIM RAZA REWA on November 16, 2013 at 8:14pm

अभिनव अरुण जी

अच्छी ग़ज़ल के लए मुबारकबाद//

00

अक्षरों में खुदा दिखाई दे

अब मुझे ऐसी रोशनाई दे |

 

हाथ खोलूं तो बस दुआ मांगूँ,

सिर्फ इतनी मुझे कमाई दे |

Comment by Abhinav Arun on November 16, 2013 at 6:25pm

आपके स्नेह से ग़ज़ल निखरी है , ह्रदय से आभार आदरणीय श्री आशीष'सलिल ' जी अभिवादन आपका !

Comment by Abhinav Arun on November 16, 2013 at 6:23pm

प्रयोग आपके मन भाये हार्दिक प्रसन्नता हुई आ. डॉ आशुतोष जी शुक्रिया

Comment by Abhinav Arun on November 16, 2013 at 6:23pm

आ. सत्यनारायण जी आभार ग़ज़ल आपको पसंद आई लेखन सार्थक हुआ

Comment by Satyanarayan Singh on November 16, 2013 at 5:30pm

उम्दा गजल जिसके हर शेर लाजबाब है. बहुत खूब आदरणीय अरुण जी हार्दिक बधाई स्वीकार करें

Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 16, 2013 at 3:14pm

बेटियों को दे खूब आज़ादी ,

साथ थोड़ी उन्हें हयाई दे |...आदरणीय अभिनव जी ..शेरो के माध्यम से आपने विविध बिषयों को छुआ ..हर प्रयोग अच्छा लगा आपको तहे दिल बधाई ..सादर 

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on November 16, 2013 at 11:44am

तल्ख़ लहजा तमाम लोगों को,

मीर दे मीर की रुबाई दे |

 

दर्द होरी सा दे रहा है तो,

साथ धनिया सी एक लुगाई दे |

 

वाह वाह !!
अद्भुत ग़ज़ल आदरणीय अरुण जी... 
दाद कुबूल हो |

Comment by Abhinav Arun on November 16, 2013 at 8:00am

मेरी कोशिश जची इसके लिए दिल से शुक्रिया आपका श्री सारथी जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
21 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Jul 29
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service