For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्या  कभी देखा है 

छोटे - छोटे बच्चो को

कूड़ा बीनते 

या फिर किसी होटल में

जूठे प्याले धोते 

या फूटपाथ पर जूते सिलते

या किसी सेठ की

भव्य दूकान  में

अपनी उम्र और वज़न से

ज्यादा  बोझ उठाते

या श्रम करते ?

तो क्या यही सचमुच

भारत के बच्चे है,

देश के भविष्य है ?

क्या इन बच्चो के

प्यारे-प्यारे मन में 

हमने कभी झाँका है ? 

क्या उनके सपनो को

जग ने कभी नापा है ?

क्या वे नहीं चाहते

माटी में लोटना,

गली में दौड़ना ,

कंचे खेलना,

होटल में जाना,

सिनेमा देखना

पर उनके नाजुक पैरो में बेड़ी 

क्या विधि ने डाली है

या फिर हम उनके मुजरिम है ? 

काश ! ऐसा होता, ये प्यारे बच्चे

बाल श्रम अथवा

क्रूर  यौन शोषण से

हर बार बचते 

उनके कुछ सपने सच में बदलते 

वे हर दुराग्रह से बाल बाल बचते

कोई  भी कभी उनका

कर नहीं पाता

बाल भी बांका

कभी नहाने में न

बाल उनके घिसते

और बूढ़े होने से

पहले ही उनके 

प्यारे उन बच्चो के

बाल नहीं पकते   I

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 709

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 18, 2013 at 2:26pm

कविता के मर्मस्पर्शी कथ्य और शुरुवात के आधे अंश के लिए हार्दिक बधाई... अंत आते आते तक कविता का कथ्य संयत नहीं रह सका,,कुछ और समय देने की आवश्यकता महसूस हुई 

सादर शुभेच्छाएं 

Comment by ram shiromani pathak on November 17, 2013 at 12:35am

आदरणीय सुन्दर भावाभिव्यक्ति पर हार्दिक बधाई आपको///सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 16, 2013 at 8:30pm

आदरणीय गोपाल जी, आपकी इस कविता के मर्म ने भावुक कर दिया. उस पर से प्रस्तुति का समय बालदवस होने से हृदय भर आया.

भाई बृजेश जी के कहे पर ध्यान देना अतुकान्त कविता की शिल्पगत कसौटियों के प्रति सार्थक आग्रह होगा.

सादर

Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 16, 2013 at 2:58pm

आदरणीय गोपाल सर ..अत्यंत भावपूर्ण रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें ..वाकई हमने कभी बच्चों के बारे में सोचा नहीं उन्हें क्या चाहिए क्या नहीं बस बाल दिवस मानते रहे ...एक शसक्त जागरूक करने वाले रचना ..सादर प्रणाम के साथ 

Comment by Meena Pathak on November 15, 2013 at 5:41pm

भावपूर्ण रचना हेतु बधाई स्वीकारें आदरणीय | सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on November 15, 2013 at 9:14am

आदरणीय गोपाल सर बहुत अच्छी रचना आज के परिवेश मे एक सार्थक संदेश देता हुआ, बधाई आपको

Comment by Sushil.Joshi on November 14, 2013 at 9:16pm

आज के दिन यानि चाचा नेहरू जी के जन्म दिन के उपलक्ष्य में इस रचना की प्रस्तुति निश्चित रूप से वहाँ स्वर्ग में नेहरू जी की आँखें गीली कर गई होगी....... बाल श्रमिकों पर आधारित इस भावपूर्ण रचना के लिए हार्दिक बधाई आ0 डॉ. गोपाल जी.........

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on November 14, 2013 at 8:13pm

आ0 गोपाल भाई जी,  बाल दशा की करूण कथा में जीवन का अभिशाप लिखा।  अतिसुंदर रचना।  हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर,

Comment by बृजेश नीरज on November 14, 2013 at 6:23pm

विषय गंभीर है! जिस गंभीरता से कविता शुरू हुई, अंत तक वो बरकरार न रह सकी.

अतुकांत कविता के शिल्प को जिस हलके ढंग से हम लेते हैं, उस पर विचार किये जाने की आवश्यकता है! 

बहरहाल, इस भावाभिव्यक्ति पर आपको हार्दिक बधाई! 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 14, 2013 at 12:45pm

आदरणीय बडे भाई गोपाल जी , !!!!! भूख ,ग़रीबी की देन बाल श्रमिकों की वेदना को समझती , समझाती सुन्दर रचना के लिये आपको बहुत बधाई , साधुवाद !!!!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
8 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
19 hours ago
Admin posted discussions
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service