For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आता रहे

जीवन में यह

 दिन बार बार

स्वप्न करे साकार 

महका हो हर आज 

आदरणीय योगराज  

आपके विकास में

भव्यता विलास में

बूँद  बने  सागर

सबके  प्रिय प्रभाकर

मैं और क्या कहूं ?

भावना  में क्या बहूँ ?

खुशिया हज़ार हो

शांति भी अपार  हो 

मै निहारता रहूँ

या पुकारता रहूँ 

स्वामी जो जगत के

 प्रभु जो प्रणत के

उनकी जय जय करू

 और यह विनय करू

आता रहे जीवन में

 यह दिन बार बार

स्वप्न करे साकार  i

 

 बैठे ठाले / सदम्ररचित / मौलिक व् अप्रकाशित

Views: 860

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by annapurna bajpai on November 19, 2013 at 11:23pm

आदरणीय गोपाल नारायण जी बहुत ही सुंदर बैठे ठाले रचना है आपको बहुत बधाई । आ० योगराज प्रभाकर जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें । 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on November 19, 2013 at 9:51pm

आदरणीय योगराज जी को जन्मदिन की शुभकामनायें.............आदरणीय गोपाल नारायण जी ने हमारी भावनाओं को स्वर दे दिए, आभार................

Comment by Satyanarayan Singh on November 19, 2013 at 6:33pm
आदरणीय योगराज जी को जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनायें!
Comment by Ravi Prabhakar on November 19, 2013 at 5:14pm

मेरे ख्‍याल से भाई योगराज जी को सब से बढीया ताेहफा आदरणीय गोपाल भाई साहिब जी तरफ से मिला है, भगवान आपको दीर्घायु करें

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 19, 2013 at 10:11am

प्रधान सम्पादक आदरणीय योगराज जी के जन्म दिवस पर माध्यम से शुभ कामनाओं पर सुन्दर रचना के लिय हार्दिक बधाई |

खुशबू  ही फैला रहे, योगराज चहुँ और,

ई-पत्रिका के मंच पर,ओ बी ओ सिरमौर । 

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by sharadindu mukerji on November 18, 2013 at 9:57pm

आदरणीय योगराज जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ....और आदरणीय गोपाल नारायन जी को धन्यवाद कि इस अनोखे अंदाज़ में इस अवसर को चित्रित किया.

Comment by नादिर ख़ान on November 18, 2013 at 9:27pm

आदरणीय योगराज जी, जन्म दिन की मुबारकबाद एवं अदरणीय गोपाल नारायण जी सुंदर अभिव्यक्ति के लिए बधाई.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 18, 2013 at 9:11pm

आदरणीय अग्रज , अनूठी रचना  से आदरनीय योगराज सर को जन्म दिन की बधाई प्रेषित करने के लिये आपको बहुत बधाई !!

!!!!साधुवाद !!!!  आदरणीय योगराज सर को जन्म दिन की ढेरों शुभ कामनायें !!!!


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 18, 2013 at 9:00pm

आदरणीय योगराज प्रभाकर जी को जन्म दिन की हार्दिक बधाई और इस अवसर पर रचित इस कृति पर आदरणीय श्री गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी का हार्दिक आभार ।  

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on November 18, 2013 at 7:54pm

परम आदरणीय योगराज सर को चरण स्पर्श सहित जन्मदिन की अनेकानेक शुभकामनाएं

मंच पर सदैव अपना आशीष बनाए रखें और हम सबका मार्गदर्शन करते रहें

सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"प्रस्तुति को आपने अनुमोदित किया, आपका हार्दिक आभार, आदरणीय रवि…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
Saturday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
Saturday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service