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ग़ज़ल : सत्य मेरा बोलना ही ऐब है

बह्र : रमल मुसद्दस महजूफ

2 1  2 2  2 1  2 2  2 1 2


तंग बेहद हाथ खाली जेब है,
सत्य मेरा बोलना ही एब है,

पाँव नंगे वस्त्र तन पे हैं फटे,
वक्त की कैसी अजब अवरेब है,
( अवरेब = चाल )

जख्म की जंजीर ने बांधा मुझे,
दर्द का हासिल मुझे तंजेब है,
( तंजेब = अचकन, लम्बा पहनावा )

जुर्म धोखा देश में जबसे बढ़ा,
साँस भी लेने में अब आसेब है,
( आसेब = कष्ट )

भेषभूषा मान मर्यादा ख़तम,
संस्कारों की गिरी पाजेब है....

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

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Comment

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Comment by Shubhranshu Pandey on November 9, 2013 at 12:33pm

एब का क्या अर्थ होता है ? ऐब का अर्थ जरुर दोष होता है. 

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 9, 2013 at 10:30am

बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय हेमंत भाई जी

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 9, 2013 at 10:30am

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय अजय भाई जी स्नेह यूँ ही बना रहे

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 9, 2013 at 10:29am

हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ सर आशीष एवं स्नेह यूँ ही बना रहे

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 9, 2013 at 10:29am

आदरणीय गिरिराज सर भाई शकील जी हार्दिक आभार आप दोनों का बहुत ही सरलता से समझाने हेतु मैं ऐ और ए में उलझ गया था. हृदयतल से हार्दिक आभार

Comment by hemant sharma on November 7, 2013 at 11:14pm

bahut hi sundar gazal badhai

 

Comment by ajay sharma on November 7, 2013 at 10:47pm

ham bhookhe lekhankarmiyo ko to ik aisee rachna roopi roti ki maang rahti hai ,,,,jo man ki bhookh ko viraam de sake ......ham niwalo ki mahak , aur plates ke rang aur size par tippadi nahi kar sakte hai ...  

wah wah wah wah wah.....जख्म की जंजीर ने बांधा मुझे, 
दर्द का हासिल मुझे तंजेब है,..............kya kahoo.....nahayat hi khoobsoorat sher huya hai 

भेषभूषा मान मर्यादा ख़तम,
संस्कारों की गिरी पाजेब है....no comments ..umda ...lazawab .....

mafi chahta hooo......par kahna chahta hooo  ki 

khatam ....ya.... khatm . .....farq kya padta hai ....yadi rachna aur meter me zaroorat ke lihaz se "khatam" priyog huya .....tathapi ......akhri  sher me iske "vikalp " ko sudhijan .....suggest kyo nahi karte .....jisse bhasha dosh ka nivaran ho sake aur rachna ki gati  aur geyeta bhi barkarar rahe ................


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 7, 2013 at 10:31pm

आदरणीयगिरिराजभाईजी और शकील भाईजी का कहना बिल्कुल दुरुस्त है.

ए और ऐ में अन्तर तो होता ही है. दोनों दो तरह के स्वर हैं.

शुभ-शुभ

Comment by शकील समर on November 7, 2013 at 7:14pm

जेब: ज+ए+ब+अ
ऐब:   ऐ+ब+अ
———————————————————————————
आदरणीय अरुन सर
आपने काफिए में ब+अ को निभाया है। जेब में 'ब' से पहले 'ए' स्वर है, वहीं ऐब में 'ब' से पहले 'ऐ' स्वर है। हर्फे रवी से पहले दो अलग—अलग स्वर आ रहे हैं। यानी स्वर का विरोध पैदा हो रहा है। इसे ही सिनाद दोष कहते हैं।
(मेरी संक्षिप्त जानकारी पर आधारित)


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 7, 2013 at 7:04pm

आदरणीय अरुण भाई , जो अंतर ग़ैब और ज़ेब मे है वही अंतर ऐब और ज़ेब मे है ,  अगर आप एब लेते तो ज़ेब से मेल खाता क़ाफिया हो सकता था , परंतु आप ऐब शब्द हर्फे कवाफी लिये है  जो मात्रा मे ज़ेब से मेल नही खाता है !!!!  

आदरणीय सौरभ भाई शायद यही कहना चाहते हैं !!!!  सादर !!!!

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