For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मधुमति,

मेरे पदचिन्‍हों को

पी लेता है

मेरा कल

और मेरे

प्राची पनघट पर

उग आते

निष्‍ठुर दलदल

ऐसे में किस स्‍वप्‍नत्रयी की

बात करूं मेरे मादल ?

वसुमति,

मेरे जिन रूपों को

जीता है

मेरा शतदल

उस प्रभास के

अरूण हास पर

मल जाता

कोई काजल

ऐसे में किस स्‍वप्‍नत्रयी की

बात करूं मेरे मादल ?

द्युमति,

मेरे तेज अर्क में

घुल जाता जब

मेरा छल

और वहीं कुछ

शापित बादल

नित गढ़ते

नव बड़वानल

ऐसे में किस स्‍वप्‍नत्रयी की

बात करूं मेरे मादल ?

पर दे

स्‍वर दे

धीर नेह, नय

कांत अक्ष

अब दे साजल

सित उजास दे

थिर हुलास दे

या कह दे

इतना इसपल

किस विध ऐसे दिशाकाश में

विचरूं खुलकर ओ मादल ?

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 743

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राजेश 'मृदु' on November 18, 2013 at 4:02pm

आदरणीय सुशील जी, आपका हार्दिक आभार, सादर

Comment by राजेश 'मृदु' on November 18, 2013 at 4:02pm

आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्‍तव जी, आपको रचना पसंद आई इस हेतु आभारी हूं एवं काफी देर से प्रत्‍युत्‍तर हेतु क्षमा प्रार्थी हूं, मैंने जिस स्‍वप्‍नत्रयी की बात की है वो परमसत्‍ता के तीन स्‍वप्‍न हैं जिनसे आत्‍मसत्‍ता साक्षात्‍कार करना चाहती है पर कर नहीं पाती, सादर

Comment by Sushil.Joshi on November 9, 2013 at 5:19am

वाह... बेहद सुंदर गीत है आ0 राजेश जी...... सुंदर शब्द चयन कर उन्हें बेहतरीन ढंग से गीत की माला में पिरोए हैं आपने.... हार्दिक बधाई...

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 8, 2013 at 10:25am

aap  apne swapntryee ko man mein hi rakhe rahe. pathak  bhi aapke teen sapno ko janna chahte hain. Shayad hamare aapke sapno mein koi samya ho. aapka bhav aur shabd chayan dono hi sundar ha..

Comment by राजेश 'मृदु' on November 5, 2013 at 8:10pm

आपकी सबकी उपस्थिति एवं सरस अभिव्‍यक्ति हेतु हार्दिक आभार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 4, 2013 at 11:22am

वाह्ह्ह्हह मन आनंदित हो उठा ये मधुर भाव,शैली शब्दों की विशिष्ठता का सम्मिश्रण देखकर बेहद शानदार गीत लिखा है राजेश मृदु जी बहुत बहुत बधाई  

Comment by vijay nikore on November 3, 2013 at 3:18pm

आपकी रचना पढ़ कर आनन्द आया। बधाई।

Comment by annapurna bajpai on November 2, 2013 at 11:32pm

क्या ही सुंदर रचना है बधाई आपको आ0 राजेश मृदु जी । 

Comment by बृजेश नीरज on November 1, 2013 at 8:12pm

 वाह! बहुत सुन्दर! आपको हार्दिक बधाई!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 1, 2013 at 6:03pm

आदरणीय राजेश भाई , बहुत सुन्दर भावों पूर्ण , सुन्दर शब्द संयोजन,  बहुत सुन्दर गीत के लिये आपको बधाई !!!!!!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर, मैं इस क़ाबिल तो नहीं... ये आपकी ज़र्रा नवाज़ी है। सादर। "
4 hours ago
Sushil Sarna commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय जी  इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद सर"
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया और सुझाव  का दिल से आभार । प्रयास रहेगा पालना…"
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार । भविष्य के लिए  अवगत…"
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार । बहुत सुन्दर सुझाव…"
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. शिज्जू भाई,एक लम्बे अंतराल के बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ रहा हूँ..बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है.मैं देखता हूँ तुझे…"
8 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . लक्ष्य

दोहा सप्तक. . . . . लक्ष्यकैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास । लक्ष्य  भेद  का मंत्र है, मन …See More
10 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज जी, ओबीओ के प्रधान संपादक हैं और हम सब के सम्माननीय और आदरणीय हैं। उन्होंने जो भी…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय अमीरुद्दीन साहब, आपने जो सुझाव बताए हैं वे वस्तुतः गजल को लेकर आपकी समृद्ध समझ और आपके…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सुशील भाई , दोहों के लिए आपको हार्दिक बधाई , आदरणीय सौरभ भाई जी की सलाहों कर ध्यान…"
11 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । "
12 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
12 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service