For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जो भी है आपका करम है सब ( ग़ज़ल ) गिरिराज भंडारी

 2122       1212      22

ज़र्फ़ अंदर न पास है दिल में

आ गया हूँ ,अदब की महफ़िल में

वक़्त रद्दे अमल का आया तो 

तुम रहम खोजते  हो क़ातिल में

कुछ तड़प , दर्द और बेचैनी

और क्या खोजते हो बिस्मिल में

 

फिर मुझे याद कर रहा है वो

फिर पड़ा होगा यार मुश्किल में 

 

अनमने से वो हाल पूछे जब

दर्द कैसे कहूँ है तिल तिल में

 

जो भी है आपका करम है सब

ज़र्फ़ खोजो न मुझसे जाहिल में

          ************

ज़र्फ़ – योग्यता , सलाहियत

पास - लिहाज

रद्दे अमलप्रतिक्रिया

मौलिक एवँ अप्रकाशित

Views: 877

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 25, 2013 at 4:05pm

//फिर मुझे याद कर रहा है वो
फिर पड़ा होगा यार मुश्किल मे// वाह क्या बात है आदरणीय गिरिराज जी

//वक़्त रद्दे अमल का आया तो 

तुम रहम खोजते  हो क़ातिल में//  बहुत गहराई से सोचा है आदरणीय गिरिराज जी

पूरी ग़ज़ल के लिये दिली दाद कुबूल करें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 25, 2013 at 1:54pm

आदरणीय बडे भाई विजय जी , गज़ल की सराहना के लिये आपका आभार !!! मुझे दुख है , जो शे र आपने पसन्द किया उसमे भाषा गत दोष निकल गया है !!!! आदरणीय क्षमा चाहूंगा !!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 25, 2013 at 1:54pm

आदरणीय बैद्य नाथ भाई , आपको शे र पसन्द आये , मेरी मेहनत सफल हुई !!!! आपका तहे दिल से शुक्रिया !!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 25, 2013 at 1:52pm

आद्रणीय अरुण भाई , रचना को आपका अनुमोदन हमेशा मेरी हिम्मत बढ़ाते रहा है !!!!! आपका बहुत बहुत शुक्रिया !!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 25, 2013 at 1:49pm

आदरणीय शकील भाई , हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया !!! ऐसे ही प्यार बनाये रखें !!!!

Comment by Saarthi Baidyanath on October 25, 2013 at 1:21pm

आदरणीय ..क्या अशआर हैं ..जिंदा अशआर 

कुछ तड़प , दर्द और बेचैनी

और क्या खोजते हो बिस्मिल में....

फिर मुझे याद कर रहा है वो

फिर पड़ा होगा यार मुश्किल में ...बहुत बहुत बधाइयाँ इन मिसरों के लिए ...वाह , बेहद उम्दा ! प्रभावी :)

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 25, 2013 at 12:36pm

आदरणीय गिरिराज सर बहुत ही लाजवाब उम्दा ग़ज़ल कही है आपने सभी अशआर खूबसूरत बन पड़े हैं दिली मुबारकबाद

Comment by शकील समर on October 25, 2013 at 12:17pm

फिर मुझे याद कर रहा है वो
फिर पड़ा होगा यार मुश्किल में..........

क्या बात है आदरणीय गिरिराज भंडारी सर
बेहद सटीक आब्जर्वेशन है।

Comment by vijay nikore on October 25, 2013 at 12:05pm

//गर्क जब भी हुआ सफ़ीना तो

थोड़ी हलचल रही है साहिल में//  ....वाह, वाह....बहुत ही अच्छा खयाल है।

 

गज़ल के लिए आपको बधाई आदरणीय गिरिराज जी।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 25, 2013 at 11:31am
आदरणीय जितेन्र्द भाई , गज़ल आपको पसन्द आई ,बहुत खुशी हुई !! हैसला अफज़ाई के लिये आपका बहुत शुक्रिया !!!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
18 hours ago
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Jul 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service