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नौकरी के बाद का जीवन -दीपक पांडेय

अध्येता जब मैं था मुझकों थी रोज़गार की लालसा
दूर हो आर्थिक तंगी मेरी - सुधरे अपनी दशा
उच्य हो सामाजिक स्तर कुछ ऐसा हो अपना नौकरीपेशा
उमंग भरे माहौल में होता नित यारों के साथ जलसा

रोज़गार की आस मे दौड़ा- लगा के पूरा दम
मैने फिर नौकरी के परिवेश मे रखा ज्यों कदम
त्यों बदला परिवेश मेरा- दूर हुआ कुछ भ्रम
कार्यालय ही अपना डेरा, कार्यालय ही आश्रम

पराधीन हुआ अब आधा जीवन ,चली गयी आज़ादी
अपनों से दूर होकर के हो गया गुलामी का आदी
खुशियों की होती कभी -कभी यहाँ पर बूँदा-बाँदी
बचा-खुचा भी नर्क हुआ जब हुई हमारी शादी


रोब दिखाए पत्नी घर पर, कार्यालय मे बास
हँसी खुंसी जीवन का कर बैठा अब तो सत्यानाश
कुंवारे विद्यार्थी मित्र करते अब मेरा उपहास
सुख भागा बन करके सौतन-दुख आया आवास

मेरा रिमोट बीवी के हाथों में, टीवी रिमोट लिए बच्चे
लगते सब मुझको अब झूठे , लगते नही कोई सच्चे
ना खा पाऊँ चाट पकौड़े, जीवन नीरस लगे मुझे
खोज ना सकूँ दुख का कारण, ना कोई उत्तर सूझे

दीपक पांडेय
मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by DEEPAK PANDEY on October 24, 2013 at 12:03pm
respected all mentors

I AM 25 YEAR OLD BATCHLOR
Comment by वेदिका on October 24, 2013 at 8:33am

 दूसरे जरूर हंसा करे लेकिन जिसकी जान सांसत मे हो वही जाने| आपका दुखड़ा सुनाकर आपने कितनों के चेहरे पे हंसी ले आए|

बहुत बहुत बधाई!

Comment by Sushil.Joshi on October 24, 2013 at 7:11am

हा...हा..हा.... हास्य से सराबोर इस कृति हेतु बधाई आ0 दीपक भाई....

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on October 22, 2013 at 10:11pm

ठीक ही किया दीपक भाई , शादी के लड्डू खाकर पछ्ताना ज्यादा अच्छा होता है। बधाई सुंदर रचना के लिए ।

Comment by डॉ. अनुराग सैनी on October 21, 2013 at 11:28pm

वेदना और हास्य का अनूठा संयोजन | हार्दिक बधाई आपको 

Comment by DEEPAK PANDEY on October 21, 2013 at 8:10pm

DEAR ALL

PLEASE GUIDE ME HOW TO RE -COMMENT TO CONCERN PERSON 

Comment by annapurna bajpai on October 21, 2013 at 6:49pm

इस सुंदर हास्यपाद रचना हेतु बधाई स्वीकारें आ0 दीपक जी । 

Comment by Meena Pathak on October 20, 2013 at 11:35am

बहुत सुन्दर हास्य रचना हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीय 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 20, 2013 at 10:33am

बहुत हास्यप्रद रचना, बधाई स्वीकारें आदरणीय दीपक जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 20, 2013 at 10:25am

सुन्दर हास्य रचना आदरणीय दीपक जी बधाई स्वीकार करें

कृपया ध्यान दे...

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