हाथ में कुछ बीज
यूँ ही ले के कागजो
पे बोने आ गयी हूँ
विचारो के बीज
सबको कहाँ मिलते हैं
मुझे भी बस एक ही मिला
एक बाग़ लगाना है
इसलिए मुट्ठी
कस कर बंद हैं
इस बीज को वृक्ष
वृक्ष से फिर बीज
इसी तरह
तो लगेगा बाग़
माली ने बताया था
माली वो जो
सबके भीतर हैं
मुझे मिला था
एक रोज जब
उसी ने दिया था
ये एक बीज
''विचारो का बीज ''
"मौलिक व अप्रकाशित"
Comment
जितेन्द्र 'गीत' जी, coontee mukerji जी ..बहुत बहुत आभार ...
माली वो जो
सबके भीतर हैं
मुझे मिला था
एक रोज जब
उसी ने दिया था
ये एक बीज
''विचारो का बीज '.....बहुत सुंदर.
बहुत सुंदर रचना, बधाई स्वीकारें आदरणीया सविता जी
माली वो जो
सबके भीतर हैं
मुझे मिला था
एक रोज जब
उसी ने दिया था
ये एक बीज--------बहुत सुन्दर भाव रचना सार्थक सन्देश देती | हार्दिक बधाई आदरणीया सविता अग्रवाल जी
आदरणीया सविता जी, वाह! विचारों के बीज नूतन बिम्ब के साथ सुन्दर अभिव्यकित और सोददेश्य रचना के लिए तहेदिल से बहुत-बहुत बधार्इ स्वीकारें। सादर,
वाह.... अति सुंदर एवं संदेशपरक रचना है..... बहुत बहुत बधाई हो आदरणीया सविता जी....
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