For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दिल में हमारे कैसे ये तूफ़ान जिन्दा रह गया

दिल के बिना जैसे कोई नादान जिन्दा रह गया

वैसे हो बेघर इक हसीं अरमान जिन्दा रह गया 

 

है आदमी ही आदमी की जान का दुश्मन हुआ

यारों खुदा का है करम इंसान जिन्दा रह गया

 

टूटा हमारा  हौसला उम्मीद फिर भी थी जवां

रख आरजू जीने की ये बेजान जिन्दा रह गया

 

मेरे खुदा मुझ पर तेरा रहमो करम हरदम रहा

तूफ़ान में अदना सा ये इंसान जिन्दा रह गया

 

लगते रहे हर रोज ही इल्जाम तो हम पर बड़े  

माँ की दुआओं से मेरा सम्मान जिन्दा रह गया 

 

होता नहीं था हम पे तो दीवानगी का कुछ असर

दिल में हमारे कैसे ये तूफ़ान जिन्दा रह गया 

 

नाजुक  हसीं गुल की हँसी उतरी थी दिल में जिस घड़ी

दिल में उसी पल से हसीं मेंहमान जिन्दा रह गया 

डॉ आशुतोष मिश्र 

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 738

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 14, 2013 at 3:17pm

आदरणीय कपिश जी ...तकनीक का ज्ञान तो मुझे भी नहीं है ..चंद महीनात पहले जब से मैं इस मंच पर जुड़ा हूँ ..हर प्रयास पर बिद्वात्जानो से कुछ न कुछ सीखने को सतत ही मिल रहा है ..आपके शब्दों से मुझे नूतन उर्जा मिली है ..सदर धन्यवाद के साथ 

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 14, 2013 at 1:16pm

आदरणीय आशुतोष सर बेहतरीन ग़ज़ल हुई है आदरणीय गिरिराज जी से सहमत हूँ तकाबुले रदीफ़ दोष है साथ ही साथ अंतिम शेर की तक्तीअ पुनः कर लें. इन दो अशआरों पर दिली बधाई स्वीकारें.

मेरे खुदा मुझ पर तेरा रहमो करम हरदम रहा

तूफ़ान में अदना सा ये इंसान जिन्दा रह गया .. वाह वाह

 

लगते रहे हर रोज ही इल्जाम तो हम पर बड़े  

माँ की दुआओं से मेरा सम्मान जिन्दा रह गया .. लाजवाब लाजवाब

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on October 14, 2013 at 12:44pm

मेरे खुदा मुझ पर तेरा रहमो करम हरदम रहा

तूफ़ान में अदना सा ये इंसान जिन्दा रह गया  /// ..... बहुत ही सुंदर 

माँ और भगवान की महिमा गाने और सुंदर गज़ल कहने की हार्दिक बधाई आशुतोष भाई ।

Comment by Kapish Chandra Shrivastava on October 14, 2013 at 11:49am
आदरणीय मिश्रा जी बहुत सुन्दर और भावपूर्ण गज़ल है आपकी । ग़ज़ल की तकनीकी बातों से अनभिज्ञ हूँ अतएव  केवल ग़ज़ल के भावों  को समझने तक ही सीमित रहता हूँ । आपको बहुत-बहुत बधाई । 
Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 14, 2013 at 10:11am

आदरणीया सरिता जी ..मेरी ग़ज़ल पर आपकी प्रतिक्रिया से मुझे उर्जा मिली है यूं ही स्नेह बनाये रखें ..सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 14, 2013 at 10:02am

आदरणीया वंइ दना जी ..हौसला अफजाई के लिय हार्दिक धन्यवाद 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 14, 2013 at 10:01am

आदरणीया कल्पना जी ,उत्साह वर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 14, 2013 at 10:00am

आदरणीय गिरिराज जी ..इस बार काफी ध्यान देने के बाद भी चूक हो ही गयी ..आपके मार्गदर्शन के अनुरूप संसोधन करने का प्रयास करूँगा .आपके स्नेहिल शब्द मुझे हमेशा उर्जा प्रदान करते हैं ..हार्दिक धन्यवाद ..दशहरे की शुभकामनाओं  और सादर प्रणाम के साथ 

Comment by Sarita Bhatia on October 14, 2013 at 8:13am

आदरणीय आशुतोष जी लाजवाब गजल ,बधाई बधाई 

Comment by vandana on October 14, 2013 at 7:02am

लगते रहे हर रोज ही इल्जाम तो हम पर बड़े  

माँ की दुआओं से मेरा सम्मान जिन्दा रह गया 

वाह बहुत खूब आदरणीय आशुतोष जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-102 (विषय: आरंभ)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया कल्पना भट्ट जी।"
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-102 (विषय: आरंभ)
"रचना पटल पर त्वरित समय देकर प्रोत्साहक प्रतिक्रिया हेतु शुक्रिया आदरणीय अजय गुप्त 'अजेय'…"
10 hours ago
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-102 (विषय: आरंभ)
"अच्छी रचना हुई है जनाब शहज़ाद उस्मानी जी। बधाई स्वीकारें"
10 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-102 (विषय: आरंभ)
"संक्षिप्त और गूढ़। बहुत अच्छी रचना हुई है आदरणीय । सार सबका एक है पर मैं ने गड़बड़ कर दी । वाह"
12 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-102 (विषय: आरंभ)
"आरंभ है प्रचंड ========= कस्बे के रेलवे पार्क में रोज घूमने आने वाले समूह के सदस्यों के मध्य…"
12 hours ago
Samar kabeer left a comment for Rahul Solanki
"ओबीओ पटल पर स्वागत है आपका डॉ. राहुल सोलंकी जी ।"
13 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-102 (विषय: आरंभ)
"'मतलब' और 'मतलबी'! (लघुकथा):  "ज़रा ग़ौर फ़रमाइयेगा जनाब, शब्द…"
15 hours ago
Rahul Solanki is now a member of Open Books Online
19 hours ago
Sushil Sarna commented on KALPANA BHATT ('रौनक़')'s blog post डर के आगे (लघुकथा)
"वाह बहुत सुंदर और सार्थक प्रस्तुति आदरणीया जी । लघु कथा की लम्बाई कुछ अधिक लगी । सादर नमन"
20 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-102 (विषय: आरंभ)
"स्वागतम"
yesterday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
""ओबीओ लाइव तरही मुशाइर:" अंक-159 को सफल बनाने के लिए सभी ग़ज़लकारों और पाठकों का हार्दिक…"
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"शुक्रिया अमित जी।"
yesterday

© 2023   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service