For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

माँ शारदा !!! ( वंदना )

हे! कमल पर बैठने वाली सुंदरी भगवती सरस्वती को मेरा प्रणाम । तुम सब दिशाओं से पुजजीभूत हो । अपनी देह लता की आभा से ही क्षीर समुद्र को अपना दास बनाने वाली , मंद मुस्कान से शरद ऋतु के चंद्रमा को तिरस्कृत करने वाली............  

    माँ शारदा !!!

मार्ग प्रशस्त करो माँ अम्ब जगदम्ब हे !

आपकी शरण  हम है माँ अम्ब जगदम्ब हे ! ........

श्वेत कमल विराजती वीणा कर धारती हे !

श्वेत हंस वाहिनी माँ श्वेताम्बर धारणी हे !

कमल सदृश नयन माँ भाग्य अनूपवती हे !

हरी हर से पुज्जित माँ हृदय मे वासती हे !

आपकी शरण मे हम है माँ जगदम्ब हे ! …………

दश दिशाएँ तुम्हें पुकारें माँ दूर करो अज्ञान हे !

देकर अपने कर से माता सुलभ सुज्ञान हे !

बने सभी बुद्धि विवेकी माँ दूर हो अज्ञान हे !

बम्ह सेविता हो कर माँ बाँचती ब्रम्ह ज्ञान हे  !

आपकी शरण हम है, माँ अम्ब जगदम्ब हे !! ................. अन्नपूर्ण बाजपेई

 

 

अप्रकाशित एवं मौलिक 

Views: 890

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by annapurna bajpai on October 17, 2013 at 11:39pm

आदरणीय दिलीप कुमार जी आपका हार्दिक आभार । 

Comment by दिलीप कुमार तिवारी on October 11, 2013 at 12:42am

आदरणीया अन्नपूर्ण ...जी माँ जगदम्बे की आराधना नवरात्र पर सादर  बधाई . .

Comment by annapurna bajpai on October 10, 2013 at 12:54pm

आदरणीय सुशील जोशी जी आपकी टिप्पणी ने मनोबल को बढ़ा दिया है आपका हार्दिक आभार । 

Comment by Sushil.Joshi on October 10, 2013 at 6:08am

सुंदर भावों से सुसज्जित माँ शारदे की वंदना..... बधाई हो आदरणीया अन्नपूर्णा जी..... माँ शारदे आपकी लेखनी को और भी अधिक प्रशस्त करे, ऐसी कामना करता हूँ......

Comment by annapurna bajpai on October 9, 2013 at 7:52pm

आदरनीय निकोर जी आपका हार्दिक आभार । 

Comment by annapurna bajpai on October 9, 2013 at 7:52pm

आदरणीय विजय मिश्र जी आपका आशीर्वाद यूं ही मिलता रहे । सादर 

Comment by annapurna bajpai on October 9, 2013 at 7:51pm

आदरणीय भंडारी जी आपका हार्दिक आभार । 

Comment by vijay nikore on October 9, 2013 at 2:10pm

वंदना में बहुत सुन्दर भाव पिरोय हैं , आदरणीया अन्नपूर्णा जी। बधाई।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by विजय मिश्र on October 9, 2013 at 1:58pm
देवी माँ का ही समय है और माताजी की भाव भरी वंदना ,सबों को पाठ का पुण्यलाभ मिले . रचना फलवती हो . साधुवाद अन्नपूर्णाजी .

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 9, 2013 at 1:54pm

आदरणीया अन्ंपूर्णा जी , बहुत सुन्दर माँ सरस्वती वन्दना , और सुन्दर प्रार्थना  भी !!! बधाई !!!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
19 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​आपकी टिप्पणी एवं प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service