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सम्मान (लघुकथा)

बड़े साहिब राज्य स्तरीय साहित्य सम्मान प्राप्त कर बेहद प्रसन्न थे. कार्यलय पहुँचते ही उन्होनें अपने स्टेनो को बुलाया और कई हफ़्तों से लंबित उसकी लोन की फाइल क्लीयर की तथा साथ ही उसकी पन्द्रह दिन की छुट्टी की अर्जी भी मंजूर कर दी। जाते समय उन्होनें स्टेनो को एक और बढि़या सी कहानी लिखने का आदेश दिया।

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Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 2, 2014 at 11:31am

बहुत ही बढ़िया लघुकथा. सच! कुछ ही शब्दों में बहुत खूबी से आपने, एक सच्चाई का चित्रण किया है. आपको बहुत -२ बधाई आदरणीय रवि जी

सादर!

Comment by Shubhranshu Pandey on October 6, 2013 at 3:48pm

आदरणीय रवि जी , सुन्दर कथा.

//उन्होनें स्टेनो को एक और बढि़या सी कहानी लिखने का आदेश दिया//

साहित्य में भी साहबी आदेश का बेजोड़ नमुना...

सादर..

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 6, 2013 at 2:23pm

वाह आदरणीय सर क्या कहने बहुत ही सुन्दर एक ही पंक्ति में किनती सुन्दर बात कह दी आपने हार्दिक बधाई स्वीकारें


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 6, 2013 at 10:09am

वाह आदरणीय रवि भाई वाह, आप तो कई कई साहबों को हमाम में खड़ा कर दिया, अच्छी लघुकथा हुई है, बहुत बहुत बधाई । 

Comment by Kapish Chandra Shrivastava on October 6, 2013 at 9:10am

आदरणीय रवि  जी , दूसरे के कन्धों पर पैर रखकर आगे बढ़ने वाले ऐसे साहित्यकारों पर आपका  गहरा व्यंग और शब्दभेदी प्रहार बहुत अच्छा लगा । बधाई । 

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 6, 2013 at 7:29am

आदरणीय रवि भाई , बहुत सुन्दर लघु कथा !! अंतिम एक लाइन ने सब कह दिया !! हार्दिक बधाई !!

Comment by vandana on October 6, 2013 at 6:45am

वाह बहुत खूब ....बधाई स्वीकारें  आदरणीय रवि प्रभाकर जी...

Comment by vijay nikore on October 6, 2013 at 2:56am

अति सुन्दर प्रस्तुति...बधाई

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by Sushil.Joshi on October 6, 2013 at 2:36am

वाह अद्भुत..... एक सत्यता का बखान करती हुई प्रस्तुति...... बधाई हो आदरणीय रवि प्रभाकर जी...


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 6, 2013 at 12:01am

वाह वाह ! आपने जिस लिहाज़ से लघुकथा के विधान के मर्म छुआ है वह आश्वस्त करता है. हृदय से बधाई लें अनुज रविजी. 

शुभ-शुभ

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