अपनी निगाहों से मेरा हर अक्श मिटाने चला है वो
दिल से अपने अब मेरा हर नक्श मिटाने चला है वो
मेरी महफ़िल की रंगीनियत कम होने लगी शायद
इसलिए साथ गैरों के महफिलें सजाने चला है वो
उस शख्स की शख्सियत भी क्या होगी यारो
मोहब्बत से भरा एक शख्स मिटाने चला है वो
जिसने खुद ही जलाई थी मोहब्बत की शमा कभी
उस शमा की आखिरी लौ भी अब बुझाने चला है वो
और जिनकी रग-रग मैं हैं धोखे और फरेब भरे
साथ उनके अब यारियों निभाने चला है वो
**************************************************
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आदरणीया मेघना जी..... आपका हार्दिक आभार उत्साहवर्धन के लिए ....
एक कडवी हकीकत को बड़ी खूबसूरती से दर्शाया गया है .बधाई सचिन जी.
ह्म्म्म.... वाहिद भाई.... बहुत दिनों बाद इस मंच पर अपनी पोस्ट पर पाकर कितनी प्रसन्नता हुई बयाँ करना मुश्किल है भाई... आपके स्नेहपूर्ण स्वागत के लिए हार्दिक आभार आपका !
ब्रिजेश जी पोस्ट पर आपके उत्साहवर्धन का हार्दिक आभार !
भाई कपीश जी आपका हार्दिक आभार !
स्वागतम सचिन भाई!
सुन्दर रचना! आपको हार्दिक बधाई!
बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है आपने भाई सचिनदेव जी । बधाई ।
आदरणीया परवीन जी .... आपकी प्रोत्साहित करती बधाई ह्रदय से स्वीकार ! और आपका हार्दिक आभार !
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online