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सेमीनार में “कार्य स्थल पर यौन उत्पीड़न” विषय पर अपना भाषण देकर जब प्रिंसीपल साहिब स्टेज से उतरे तो सभी ओर तालियों की गड़गड़ाहट व वाहवाही गूंज रही थी,  सभी लोग बारी-बारी प्रिंसीपल साहिब को बधाईयां दे रहे थे। इसी क्रम में जब एक जूनियर अध्यापिका ने प्रिंसीपल साहिब को बधाई दी तो उन्हे लगा जैसे किसी ने सरे-बाजार उन्हे नंगा कर दिया हो।

- मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by Ravi Prabhakar on October 5, 2013 at 2:25pm

आदरणीय रविकर जी व अभिनव जी,
लघुकथा की आत्मा तक पहुंचने के लिए कोटि-कोटि धन्यवाद।

Comment by Ravi Prabhakar on October 5, 2013 at 2:22pm

आदरणीय मित्र महतो जी,
आप लघुकथा की आत्मा तक पहुंचे, लिखना सफल हुआ। धन्यवाद ।

Comment by Ravi Prabhakar on October 5, 2013 at 2:20pm

प्रधान सम्पादक श्री योगराज प्रभाकर जी मेरे ज्येष्ठ भ्राता है। उन्ही की छत्रछाया में रहकर कुछ शब्द लिखने की हिम्मत की। उन्ही के मार्गदर्शन से यह लघुकथा सराही जा रही है। ज्येष्ठ भ्राता की बधाई सिर-आंखों पर।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 5, 2013 at 2:18pm

आदरणीय रवि भाई, मंत्र मुग्ध हूँ, क्या झन्नाटेदार तमाचा मारा है, वाह वाह, लघुकथा की जमीं पर एक उदाहरण है आपकी प्रस्तुति, बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं । 

Comment by Ravi Prabhakar on October 5, 2013 at 2:15pm

आदरणीय राजेश कुमारी जी,

उत्साहपूर्ण टिप्पणी के लिए धन्यवाद। आपकी टिप्पणी भविष्य में भी लिखने के लिए प्रेरित करेगी।

Comment by Ravi Prabhakar on October 5, 2013 at 2:10pm

श्रद्धेय सौरभ भाई जी,
आपकी उत्साहपूर्ण टिप्पणी सदैव मार्गदर्शन करते हुए प्रेरित करती है। आशा है कि आपके मार्गदर्शन से भविष्य में भी कुछ और लिखने का प्रयत्न करूंगा। कोटि-कोटि धन्यवाद।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 5, 2013 at 11:36am

बहुत बढ़िया, बिन कहे सबकुछ कह दिया, बधाई आदरणीय रवि जी

Comment by coontee mukerji on October 5, 2013 at 1:09am

समझने वाली बात है....जैसे पटाके से कोई विस्फोट हुआ हो.

Comment by MAHIMA SHREE on October 4, 2013 at 10:33pm

वाह कमाल किया आपने कुछ ही लाइनों में ... आपने  क्या...... तस्वीर खिची है ... बधाई आदरणीय

Comment by KRISHNA DEV MAHTO on October 4, 2013 at 9:02pm

बिना कहे ही सबकुछ  कह दिया आपकी लघु कथा ने दिल से बहुत बहुत बधाई सर 

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