For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : सच वो थोड़ा सा कहता है

बह्र : मुस्तफ्फैलुन मुस्तफ्फैलुन

----

सच वो थोड़ा सा कहता है

बाकी सब अच्छा कहता है

 

दंगे ऐसे करवाता वो

काशी को मक्का कहता है

 

दौरे में जलते घर देखे

दफ़्तर में हुक्का कहता है

 

कर्मों को माया कहता वो

विधियों को पूजा कहता है

 

जबसे खून चखा है उसने

इंसाँ को मुर्गा कहता है

 

खेल रहा वो कीचड़ कीचड़

उसको ही चर्चा कहता है

 

चलता है जो खुद सर के बल

वो सबको उल्टा कहता है

 

तेरा क्या होगा रे ‘सज्जन’

अंधे को अंधा कहता है

--------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 528

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 3, 2013 at 3:23pm

जबसे खून चखा है उसने

इंसाँ को मुर्गा कहता है आदरणीय सज्जन जी आपकी इस बेहतरीन घज्ला का ये शेर मुझे बेहद भाया ..सादर बधाई के साथ 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on October 3, 2013 at 9:00am

आदरणीय धर्मेंद्र जी, आपकी हर गज़ल का हर एक अश'आर इतना उम्दा होता है कि बार-बार गुनगुनाकर पढ़ता हूँ. हृदय से बधाई...........

Comment by vandana on October 3, 2013 at 7:32am

जबसे खून चखा है उसने

इंसाँ को मुर्गा कहता है

तीव्र भावनाओं की प्रस्तुति .....!!!

Comment by वीनस केसरी on October 3, 2013 at 2:21am

कहें काले को हम काला महोदय
ग़ज़ल में ये नहीं अच्छा महोदय

ग़ज़लियत का ज़रा हम ध्यान रक्खें
तो फिर हो जाए क्या से क्या महोदय

नज़र से पेश करते हाल दिल का
ग़ज़ल  का शेर हो जाता महोदय .........

Comment by Sushil.Joshi on October 2, 2013 at 9:49pm

दौरे में जलते घर देखे

दफ़्तर में हुक्का कहता है..... क्या ख़ूब कहा आदरणीय धर्मेन्द्र जी..... वाह...बधाई हो आपको इस शानदार सार्थक गज़ल के लिए...


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 2, 2013 at 9:38pm

आदरणीय धर्मेन्द्र भाई , बहुत शानदार गज़ल कही है !!

चलता है जो खुद सर के बल

वो सबको उल्टा कहता है

 

तेरा क्या होगा रे ‘सज्जन’

अंधे को अंधा कहता है ------------------ इन दो शेरों के लिये ढ़ेरों बधाई !!

Comment by MAHIMA SHREE on October 2, 2013 at 8:31pm

बहुत ही शानदार ..... निशब्द कर दिया आदरणीय ..बधाई स्वीकार करें

 

Comment by रविकर on October 2, 2013 at 5:52pm

गजब गजब गजब -
बड़ा नाराज है भाई -
सादर -
शुभकामनायें आदरणीय-

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
14 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
yesterday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Mar 31
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Mar 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Mar 30
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service