For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

1.बीता हिन्दी दिवस भी, मना लिए सब जश्न!
   न्याय लेख भी हो हिंदी, कौन करेगा प्रश्न!
2.नियम सरलता से बने, सब कुछ हो स्पष्ट
   तर्क कुतर्क न बन जाय, बने वकील न भ्रष्ट.
3.मूल्य कर्म अनुरूप हो, हो न कोइ कंगाल.
   दोउ हाथ दो पैर सम, अलग क्यों हो भाल!
4.मिहनत से धन आत है, बिन मिहनत धन जात.
   मिहनत कर ले रे मना, काहे नहीं बुझात!
5.अहंकार को त्याग कर, करिए सदा सत्कर्म,
   सोने की लंका गयी, बूझ न रावण मर्म.
6.नारी को सम्मान कर, नारी शक्ति महान
   नारी के अपमान से, जगत नहीं अनजान!
  -जवाहर लाल सिंह
  ( मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 732

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on September 20, 2013 at 12:22pm

आदरणीय भ्रमर जी, सादर अभिवादन!

आपका आशीर्वाद आवश्यक है बड़े भाई! आप तो मेरे प्रेरणास्रोत है! बहु बहुत आभार!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on September 20, 2013 at 12:20pm

आदरणीय राम शिरोमणि जी, सादर अभिवादन!

कोशिश जारी रहेगी, आपलोगों का मार्गदर्शन अपेक्षित है! सादर 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on September 20, 2013 at 12:19pm

आदरणीया विजयश्री जी, सादर अभिवादन!

उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on September 20, 2013 at 12:17pm

आदरणीय जितेन्द्र जी, सादर अभिवादन!

उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार!

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 18, 2013 at 7:36pm

मूल्य कर्म अनुरूप हो, हो न कोइ कंगाल.
   दोउ हाथ दो पैर सम, अलग भला क्यों  भाल!

नारी को सम्मान कर, नारी शक्ति महान
   नारी के अपमान से, जगत नहीं अनजान! 

प्रिय जवाहर भाई एक से बढ़ कर एक दोहे सीख देने वाले ...

आभार
भ्रमर ५

Comment by ram shiromani pathak on September 18, 2013 at 7:33pm

आदरणीय जवाहर जी,सुंदर दोहावली//ये दोहे और भी सशक्त हो सकते है,पढेंगे तो आप स्वयं सुधर कर लेंगें  ,आप सक्षम भी है ///सादर 

Comment by vijayashree on September 18, 2013 at 12:42pm

 सुंदर दोहावली बधाई स्वीकारें जवाहर जी 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 16, 2013 at 11:54pm

बहुत सुंदर दोहावली, बहुत बहुत बधाई आदरणीय जवाहर जी

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on September 16, 2013 at 7:29pm

आदरणीय परवीन जी प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on September 16, 2013 at 7:29pm

आदरणीय श्री गिरी राज जी, सादर अभिवादन!

आपके सुझाव पर अमल करने का पुन: कोशिश करूंगा. दरअसल इस मंच से मैं सुधार और सुझाव की ही आशा रखता हूँ.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"ऐसे😁😁"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"अरे, ये तो कमाल  हो गया.. "
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश भाई, पहले तो ये बताइए, ओबीओ पर टिप्पणी करने में आपने इमोजी कैसे इंफ्यूज की ? हम कई बार…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके फैन इंतज़ार में बूढे हो गए हुज़ूर  😜"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और अच्छे सुझाव के लिए आभार। पाँचवें…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय सौरभ भाई  उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार , जी आदरणीय सुझावा मुझे स्वीकार है , कुछ…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति और उत्साहवर्धक  प्रतिक्रया  के लिए आपका हार्दिक…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, यह तो स्पष्ट है, आप दोहों को लेकर सहज हो चले हैं. अलबत्ता, आपको अब दोहों की…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज सर, ओबीओ परिवार हमेशा से सीखने सिखाने की परम्परा को लेकर चला है। मर्यादित आचरण इस…"
8 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service