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मौन !

ये कैसा मौन ?

अन्तर्मन में ,

कुछ टूटता सा ,

सुनाई देती जिसकी गूंज देर तक !

हर घटना पर छोड़ जाता कई यक्ष प्रशन !

आँखों में ये कैसा मौन ?

लबो पे ये कैसा मौन ?

दिल में बरछी की तरह गड़ता ,

तीर की तरह चुभता ये मौन ,

ये गवाह है एक बड़े विनाश का !

और जवाब है खुद ही अबूझ सवालों का ,

दिल की हर भावना से जुड़ा ,

मन के किसी कोने में पला ,

पल पल गहराता जाता,

ये कैसा अबूझ मौन ?

जो पहेली बन गया है ,

देखता है सबकुछ,

फिर एक चिरनिंद्रा सी चुप्पी ,

साध लेता ये ,

और घेर लेता वजूद को ,

और गहराता जाता ये मौन !

ये सच है या कोई स्वप्न ,

ये जहर है या अमृत ?

हर पीढ़ी के लिए ,

जाने कब टूटेगा ये मौन ?

ये भ्रम है या छलावा ?

या है एक अटूट सहारा ,

तोलता है जज्बातों को ,

समय की कसौटी पे ,

मन के अवसाद को मिटाने के लिए ,

टूट ही जाए अब ये मौन !

.

-“डॉ. अनुराग सैनी “-

मौलिक व अप्रकाशित 

 

 

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 14, 2013 at 4:36pm

हर घटना पर छोड़ जाता कई यक्ष प्रशन !

आँखों में ये कैसा मौन ?

लबो पे ये कैसा मौन ?

दिल में बरछी की तरह गड़ता ,

तीर की तरह चुभता ये मौन ,

ये गवाह है एक बड़े विनाश का !............. मौन की सटीक समीक्षा 

बहुत बहुत शुभकामनाएँ 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 14, 2013 at 12:08am

लबो पे ये कैसा मौन ?

दिल में बरछी की तरह गड़ता ,

तीर की तरह चुभता ये मौन ,

ये गवाह है एक बड़े विनाश का !

और जवाब है खुद ही अबूझ सवालों का ,

आदरणीय डॉ अनुराग जी ..प्रभावी रचना ..सच में ये मौन विध्वंसक हो जाता है ऐसे वक्त पर .....
सुन्दर
भ्रमर ५

Comment by डॉ. अनुराग सैनी on September 13, 2013 at 4:43pm

आभार सभी का , 

Comment by बृजेश नीरज on September 13, 2013 at 12:06pm

बहुत सुन्दर! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by Meena Pathak on September 13, 2013 at 1:04am

बहुत सुन्दर 'मौन' आप का .. बधाई

Comment by annapurna bajpai on September 12, 2013 at 10:47pm

आदरणीय अनुराग जी बहुत बढ़िया सुंदर भावों का सम्प्रेषण हुआ है बधाई आपको । 

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