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जिसने जाना नही इस्लाम 
वो है दरिंदा 
वो है तालिबान...

सदियों से खड़े थे चुपचाप 
बामियान में बुद्ध 
उसे क्यों ध्वंस किया तालिबान 

इस्लाम भी नही बदल पाया तुम्हे 
ओ तालिबान 
ले ली तुम्हारे विचारों ने 
सुष्मिता बेनर्जी की जान....

कैसा है तुम्हारी व्यवस्था 
ओ तालिबान!
जिसमे तनिक भी गुंजाइश नही 
आलोचना की 
तर्क की 
असहमति की 
विरोध की...

कैसी चाहते हो तुम दुनिया 
कि जिसमे बम और बंदूकें हों 
कि जिसमे गुस्सा और नफ़रत हो 
कि जिसमे जहालत और गुलामी हो 
कि जिसमे तुम रहो 
और रह पायें तुम्हे मानने वाले...

मुझे बताओ 
क्या यही सबक है इस्लाम का...?

(मौलिक और अप्रकाशित) 

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 10, 2013 at 7:23pm

सुन्दर सार्थक संदेशपरक कथ्य आ० अनवर सुहैल जी 

शुभकामनाएँ 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 7, 2013 at 3:55pm
वाह !! भाई अनवर सुहैल जी , बेहतरीन बात कही !! वाह !!
Comment by राज़ नवादवी on September 7, 2013 at 8:38am

आपने सच फरमाया है. सादर! 

कृपया ध्यान दे...

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