For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुम मेरी बेटी नही 

बल्कि हो बेटा...

इसीलिये मैंने तुम्हें

दूर रक्खा शृंगार मेज से 

दूर रक्खा रसोई से 

दूर रक्खा झाडू-पोंछे से 

दूर रक्खा डर-भय के भाव से 

दूर रक्खा बिना अपराध 

माफ़ी मांगने की आदतों से 

दूर रक्खा दूसरे की आँख से देखने की लत से....

और बार-बार

किसी के भी हुकुम सुन कर 

दौड़ पडने की आदत से भी 

तुम्हे दूर रक्खा...

बेशक तुम बेधड़क जी लोगी 

मर्दों के ज़ालिम संसार में

मुझे यकीन है...

(मौलिक और अप्रकाशित /अप्रसारित) 

Views: 618

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 2, 2013 at 12:26am

ग़ज़ब .. . एकदम से ज़मीनी बात

बधाई

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 31, 2013 at 3:58pm

अति सुंदर रचना ,आदरणीय अनवर साहब बहुत बहुत बधाई

Comment by vijayashree on August 31, 2013 at 3:41pm

सार्थक अभिव्यक्ति 

हार्दिक बधाई 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 31, 2013 at 2:24pm

सार्थक सशक्त अभिव्यक्ति 

हार्दिक बधाई 

Comment by Abhinav Arun on August 30, 2013 at 9:45pm

सुंदर भावपूर्ण रचना आदरणीय बहुत बधाई !!

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 30, 2013 at 9:14pm

आ0 अनवर भाई जी, अप्रतिम रचना। हृदयतल से बहुत-बहुत बधाई स्वीकार करें। सादर,

Comment by annapurna bajpai on August 30, 2013 at 9:11pm
आदरणीय अनवर जी सुंदर भाव एक बेटी के लिए बधाई आपको ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 30, 2013 at 12:26pm

अनवर भाई, अति  सुन्दर रचना  !!बधाई स्वीकार करें !!

Comment by shubhra sharma on August 30, 2013 at 11:25am

आदरणीय अनवर जी ,आज के परिस्थितियों में लड़कियों के साथ होने वाले अकल्पनीय घटनायों पर तीखा व्यंग , बहुत खूब 

Comment by Shyam Narain Verma on August 30, 2013 at 11:14am
भावनाओं से ओतप्रोत रचना पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें.... 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । आपके द्वारा  इंगित…"
34 minutes ago
Mayank Kumar Dwivedi commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"सादर प्रणाम आप सभी सम्मानित श्रेष्ठ मनीषियों को 🙏 धन्यवाद sir जी मै कोशिश करुँगा आगे से ध्यान रखूँ…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय सुशील सरना सर, सर्वप्रथम दोहावली के लिए बधाई, जा वन पर केंद्रित अच्छे दोहे हुए हैं। एक-दो…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सुशील सरना जी उत्सावर्धक शब्दों के लिए आपका बहुत शुक्रिया"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय निलेश भाई, ग़ज़ल को समय देने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया। आपके फोन का इंतज़ार है।"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"मोहतरम अमीरुद्दीन अमीर 'बागपतवी' साहिब बहुत शुक्रिया। उस शे'र में 'उतरना'…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर,ग़ज़ल पर विस्तृत टिप्पणी एवं सुझावों के लिए हार्दिक आभार। आपकी प्रतिक्रिया हमेशा…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, ग़ज़ल को समय देने एवं उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए आपका हार्दिक आभार"
4 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा

आँखों की बीनाई जैसा वो चेहरा पुरवाई जैसा. . तेरा होना क्यूँ लगता है गर्मी में अमराई जैसा. . तेरे…See More
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर, मैं इस क़ाबिल तो नहीं... ये आपकी ज़र्रा नवाज़ी है। सादर। "
21 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service