स्वागत हे नव वर्ष !
अखिल विश्व शुभ मंगलकारी आशा के प्रतिदर्श
शुभागमन से संभव हो संभवतः चहुदिश हर्ष
स्वागत हे नव वर्ष !
ज्ञान ध्यान विज्ञान विशारद मानवता कहती है
विषय भोग भौतिकता में कब कहाँ शान्ति रहती है
मूल्यों और आदर्शों से वंचित नस्लें थोथी हैं
अर्थ प्रधान जगत में भारती भारत को रोती है
तुम आओ तो मिट जायेगा शायद ये संघर्ष
स्वागत हे नव वर्ष !
संगणक संजाल का कैसा महाजाल विस्तृत है
मायावी कृत्रिम रिश्तों में कहाँ व्यक्ति रससिक्त है
घोर बुनावट महा बनावट का श्रृंगार शोभित है
हे शुभांक तेरे आगम पर कर प्रणाम अर्चित है
तुम आओ तो आये शायद सच्चा सा उत्कर्ष
स्वागत हे नव वर्ष !
दादी माँ की किस्सागोई सासू का उपदेश
बाबा नाना बुआ फूफा रिश्ते हुए विदेह
एकल और अधूरे संबंधों की सुलग अजब सी
डार से बिखरी रात की रानी दिखती बे रौनक सी
तुम आओ तो साथ ले आना थोडा संदल खस
स्वागत हे नव वर्ष !
सृष्टि से ही उपजे हैं हम पर दूर हुए स्रष्टा से
राम कृष्ण गौतम ईसा और गांधी सम द्रष्टा से
रामायण बाइबल अब केवल धर्मस्थल की शोभा
इस तटस्थता से विकास संस्कृति का कैसे होगा
तुम आओ तो संग संग आये स्वर्णिम भारत वर्ष
स्वागत हे नव वर्ष !
आगे आगे बढ़ने का आकर्षक विभ्रम फैला
ज्ञान चक्षु से देखो दीखता सबकुछ धुंधला मैला
अन्तःकरण की उन्नति का संकल्प हमें करना है
नाम हमारे मानवता का ऋण हमें भरना है
तुम आओ संग साथी लाओ धर्म मूल्य आदर्श
स्वागत हे नव वर्ष !
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