फासलों की
हर पर्त को चीरते
चंद शब्द...
जिनका चेहरा,
कभी दिखाई ही नहीं देता..
आखिर देखूँ भी तो क्यों ?
लुका छिपी में उलझाते मुखौटे !
जिनकी आवाज,
कभी सुनायी ही नहीं देती..
आखिर सुनूँ भी तो क्यों ?
कृत्रिमता में गुँथे बंधित अल्फाज़ !
जिनके अर्थ,
कभी बूझने नहीं होते..
आखिर बूझूँ भी तो क्यों ?
सिर्फ भ्रमित करते से दृश्य तात्पर्य !
जबकि,
हृदय गुहा में
अंकित होते हों..
मुखौटों की कृत्रिमता से
सदा सर्वदा अस्पृष्ट..
अर्थ की बंदिशों से परे..
ऊर्जित भाव स्पंदन
अपने अनुगुंजन में
चिदानन्द संजोये
उसके चंद शब्द !!
Comment
आदरणीया डॉ प्राची जी ,भावों से भरी,यथार्थ चित्रण किया है आज के कृत्रिम , बनाबटी होते लोगों की सोच का ,बहुत खूब ,
आ० राजेश कुमार झा जी
अभिव्यक्ति की मूल भावना और शैली पर पर आपसे सराहना मिलना लेखन के प्रति आश्वस्ति का कारण है..
अभिवियक्ति के पृष्ठ में सन्निहित जीवन दर्शन पर कुछ शब्द कहने के लिए धन्यवाद.
अभिव्यक्ति को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आ० बृजेश जी
आ० डी०पी० माथुर जी, जितेन्द्र जी, विवेक मिश्र जी, डॉ० आशुतोष जी, रविकर जी, सुलभ जी, डॉ० नूतन जी ..
अभिव्कति पर आपकी सराहना और प्रोत्साहन लेखनी के लिए सदा ही ऊर्जा का कार्य करते हैं
आप सबका हृदय से बहुत बहतु आभार
सराहना हेतु हार्दिक आभार आ० केवल प्रसाद जी
अभिव्यक्ति के भाव सराह प्र्त्साहित करने के लिए आभार आ० अन्नपूर्णा बाजपेई जी
आपकी अतुकांत कविता भी आपके छंदों की तरह अपना अलग अंदाज रखती है, कृत्रिमता को तिलांजलि देना और उसे खुलेआम यूं ललकारना कि तुम्हारी आवाज मुझे नहीं सुननी, ये वही कर सकता है जिसके भीतर जीवन का शाश्वत दर्शन कूट-कूट कर भरा हो । अभिराम लेखनी को सादर नमन
खुद मुझे अब शब्द चाहिए, इस रचना पर टिप्पणी के लिए!
आपको नमन!
प्रिय अरुण शर्मा 'अनंत' जी
अभिव्यक्ति आपको पसंद आई ये मेरे लिए बहुत संतोषदायी है
आपके द्वारा किये गए प्रश्न //दी एक गुजारिश है क्या मुझे भी इतनी ही सुन्दर अतुकांत कविता लिखना सिखाएंगी..?// का तो एक ही उत्तर है..
यही इसी मंच पर ही मैंने भी सीखा है....क ख ग से ही..और सीख रही हूँ.... हम सभी एक दूसरे की रचनाओं को पढ़ कर, नयी नयी शैलियों को देखते हैं ..सीखते हैं.... अच्छे लेखन के लिए सजग पाठन सबसे ज़रूरी है.और आपकी संलग्नता तो इसके प्रति सदा से आश्वस्त करती रही है
आपके प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद
अभिव्यक्ति का शब्द संयोजन और भावदशा पसंद कर उत्साहवर्धन करने के लिए आपको सादर धन्यवाद आ० विनीता शुक्ला जी
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