For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शब्द ही तो थे …
नयनों के झिलमिल
बिम्बों की भाषा
तरल सीकरों में
ढलती अभिलाषा

टूट तो जाने ही थे
अन्तस् के बंध;
विष  से उफनाये वे-
कटुता के छंद !
शब्द ही तो थे...

फट पडीं, ज्यों बेतरह
कपास की गाठें
चिंदी चिंदी  बिखर गये -
अनछुए अर्थ
विद्रोही पवन का
पाकर स्पर्श 
खुले अवगुंठन

 वह उद्दात्त मन का प्रस्फुटन!

शब्द ही तो थे…
(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 970

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Vinita Shukla on August 5, 2013 at 8:49pm

गीतिका 'वेदिका जी, सराहना हेतु अनेकानेक धन्यवाद.

Comment by Aditya Kumar on August 5, 2013 at 8:02pm

बहुत ही सुन्दर रचना है "हार्दिक सुभकामनाये आपको"

Comment by Vasundhara pandey on August 5, 2013 at 7:47pm

you know विनीता जी ..आपकी लेखनी की कायल हूँ मैं पहले से ही,,,.बहुत ही सुन्दर लिखती हैं आप...

Comment by वेदिका on August 5, 2013 at 6:31pm

शब्दों को परिभाषित करती सशक्त रचना

बहुत बधाई, आदरणीया विनीता जी

Comment by Vinita Shukla on August 5, 2013 at 6:09pm

हार्दिक आभार, आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद जी.

Comment by Vinita Shukla on August 5, 2013 at 6:09pm

बहुत बहुत धन्यवाद आ. मीना जी.

Comment by Vinita Shukla on August 5, 2013 at 6:08pm

हार्दिक धन्यवाद, अन्नपूर्णा जी.

Comment by Vinita Shukla on August 5, 2013 at 6:07pm

अरुण 'अनन्त' जी, आपका कोटिशः धन्यवाद.

Comment by Vinita Shukla on August 5, 2013 at 6:07pm

बृजेश नीरज जी, आपका अतिशय आभार.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 5, 2013 at 3:41pm

शब्द ही तो है जिनसे पगी आपकी यह सुन्दर रचना, हार्दिक बधाई विनीता जी| सादर 

 शब्दों का ही जाल है,  जिनसे  हो सम्बन्ध,

 शब्द बिना क्या लिख सके,कोई ललित निबंध  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"  आ. भाई  , Mahendra Kumar ji, यूँ तो  आपकी सराहनीय प्रस्तुति पर आ.अमित जी …"
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"1. //आपके मिसरे में "तुम" शब्द की ग़ैर ज़रूरी पुनरावृत्ति है जबकि सुझाये मिसरे में…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब महेन्द्र कुमार जी,  //'मोम-से अगर होते' और 'मोम गर जो होते तुम' दोनों…"
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब, माज़रत ख़्वाह हूँ, आप सहीह हैं।"
5 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
12 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
12 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
12 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
12 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
12 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
12 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
13 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी बहुत शुक्रिया आपका संज्ञान हेतु और हौसला अफ़ज़ाई के लिए  सादर"
14 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service