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तुझे इकरार हो तो चली आना।

कभी न आएँगे तेरे दर पे
कि तेरे बिना
जीना मंजूर है हमें
कभी न ताकेंगे तेरे राह
कि तेरे बिना
जीना मंजूर है हमें।

एक आशियाना मिला था,
एक फूल खिला था,
जो मुरझा गया समय से पहले
उस फूल को लेकर
अब मैं कहाँ जाऊँ।

जिसमे सजानी थी
बचपन की यादें,
समेटनी थी कुछ खुशियाँ
तेरे साथ उन खुशियों को
ढूंढने अब मैं कहाँ जाऊँ।

एक शाम बितानी थी तेरे संग
दुनिया को भूलकर
आसमान छूना था,
उन सपनों को लेकर
अब मैं कहाँ जाऊँ।

तेरे यादों को जो ले आई थी
झोली में भर कर
उन यादों को दफ़नाने
अब मैं कहाँ जाऊँ।

एक शाम जो गुज़री थी
तेरे पलकों के साये
उस शाम को आग देने
अब मैं कहाँ जाऊँ।

तू याद न करना हमें,
हम ने भी भूलाया है तुझे
अगर देना है चिता उन यादों को
तो तू भी चली आना।

बरसात तो होगा ही
असमान भी रोयेगा,
एक दुसरे के कंधे पर रखकर सिर
कुछ देर आँहें भर लेंगे।

यादों की बारात सजेगी
हाथों में तेरे, होगा कुछ भस्म
कुछ मेरे हाथ होगा, 
उस भस्म से सजेगी मंडप।

तुझे इकरार हो तो चली आना।

.....लता तेजेश्वर

"मौलिक व अप्रकाशित"

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Comment

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Comment by Lata tejeswar on August 5, 2013 at 4:54pm

bahut bahut dhanyabaad Sauravji ...koshish rahegi...aap ki amulya sujhav ko dhyan me rakhun.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 2, 2013 at 12:52am

भाव संप्रेषण शब्द और व्याकरण पर भी निर्भर करते हैं.  व्याकरण और अक्षरी सम्बन्धी अशुद्धियाँ खलती हैं.

शुभेच्छाएँ

Comment by Lata tejeswar on July 28, 2013 at 5:58pm

bahut bahut dhanyabaad jeetendraji...

Comment by Lata tejeswar on July 28, 2013 at 5:57pm

dhanyabaad बृजेश नीरजji..jarur age khyaal rakhungi.

Comment by Lata tejeswar on July 28, 2013 at 5:56pm

hosla badane ke liye bahut bahut dhanyabaad vedika ji..

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 27, 2013 at 8:28pm

आदरनीया लता जी , सुंदर रचना प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई ....

Comment by बृजेश नीरज on July 26, 2013 at 10:04pm

आपके इस प्रयास पर आपको हार्दिक बधाई!
एक निवेदन है कि टाइपिंग की गलतियों पर नजर रखा करें।
सादर!

Comment by वेदिका on July 26, 2013 at 12:23pm

मन की बात रखी, रचना सुंदर बनी  

Comment by Lata tejeswar on July 26, 2013 at 12:17pm

dhanyabaad maananiya Dr.ashutoshji

Comment by Lata tejeswar on July 26, 2013 at 12:17pm

dhanyabaad annapurnaji

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