For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Lata tejeswar's Blog (4)

मैं दामिनी हूँ

मैं दामिनी हूँ



आप की जैसी एक जिंदगानी हूँ

जीना था मुझे आप की तरह

रोज़ सवेरे उठकर ऑफिस जाना था

एक छोटा सा घर बनाना था।



किसीकी बहन तो थी ही

किसीकी जननी भी कहलानी थी

माँ मुझे जीना था।



आज जल गया मेरा सवेरा

टूट गये सारे अरमान मेरे

जा रही मैं इस दुनिया को छोड़ कर

मगर माँ मुझे जीना था

रोज़ सवेरे आप का पैर छूना था।



उजाड़ गयी दुनिया मेरी

पर एक ख्वाब मुझे बुनना था

मगर माँ मुझे जीना था।



कैसे…
Continue

Added by Lata tejeswar on September 13, 2013 at 8:30pm — 24 Comments

इंतज़ार

वह एक छोटा सा टुकड़ा

जिस में मैने आशाओं को कैद कर

तुम्हें समर्पित किया था,

क्या तुमने वह

कागज का दिल

स्वीकार किया है,

कान्हा …. ?

मेघमाला के द्वारा

जो संदेश तुम्हें भेज था -

क्या उस दिल की धड़कन

तुमने सुनी थी

प्रभु. … ?



हवा में लहराते

मेरे शब्दों की गूँज

क्या तुन तक

पहुँच पायी है,

नाथ  … ?

चंद्रमा को देखते हुए

मेरे दिल में अंकित तुम्हारा रूप

जो मुझे नज़र आता है,

उस चंद्रमा में…
Continue

Added by Lata tejeswar on August 22, 2013 at 9:30am — 8 Comments

तुझे इकरार हो तो चली आना।

कभी न आएँगे तेरे दर पे

कि तेरे बिना

जीना मंजूर है हमें

कभी न ताकेंगे तेरे राह

कि तेरे बिना

जीना मंजूर है हमें।



एक आशियाना मिला था,

एक फूल खिला था,

जो मुरझा गया समय से पहले

उस फूल को लेकर

अब मैं कहाँ जाऊँ।



जिसमे सजानी थी

बचपन की यादें,

समेटनी थी कुछ खुशियाँ

तेरे साथ उन खुशियों को

ढूंढने अब मैं कहाँ जाऊँ।



एक शाम बितानी थी तेरे संग

दुनिया को भूलकर

आसमान छूना था,

उन सपनों को लेकर

अब मैं कहाँ…

Continue

Added by Lata tejeswar on July 25, 2013 at 4:00pm — 12 Comments

एक बेबस आत्मा

शून्य की गहरा अन्धकार में

भटक रही एक बेबस आत्मा ..

न कोई अपना उसका

न कोई सपना ....

रोंदू एक मोम सी गुडिया

रो रही थी उन सीढियों पर

छोड़ गई थी कोई बेबस माँ

उस भगवान की द्वार ...

रोंदू सी वह गुडिया रोए जा रही थी ...

रोती हुई गुडिया को देख

वह आत्मा कुछ ऐसे बिल्ल्ख गई

बहक गई ...

ममता जो उसकी जगगई ...

बेबस वह बच्ची को गोद में लेने

तड़प रही ...

न था उसका हाथ,

न था उसका पैर

एक हवा बन कर सहलाती रही ..

न थी वह…
Continue

Added by Lata tejeswar on July 18, 2013 at 1:30pm — No Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर  होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर ।उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service