For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

काश : होते परिंदे

चाँद यहाँ भी ,

चाँद वहाँ  भी 
इंसान में लहू 
 यहाँ भी वहाँ भी
फिर भी क्यूँ है ?
सरहदों पर लकीरें 
लोग बने क्यों फिर रहे 
लकीर के फ़क़ीर 
क्यूँ बना डाली 
नफरतों की  दीवार 
कुछ वक्त पहले तक 
थे दोनों एक 
मुल्क एक दुःख एक 
राज एक सुख एक 
थे एक ही जगह के वाशिंदे 
काश  हम इंसान भी होते परिंदे 
जो उड़ते यहाँ भी ,वहाँ भी 
जिन्हें रोक न पाती  लकीरें
छोटी पड़ जाती जहाँ 
नफरतों की दीवारें 
कभी गंगा कभी झेलम के पानी पी 
फैलाते अमन चैन का सन्देश 
.
मौलिक और अप्रकाशित  

Views: 655

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by shubhra sharma on July 23, 2013 at 10:51pm

आदरणीया अन्न्पूर्णा जी सराहना हेतु बहुत बहुत धन्यवाद 

Comment by shubhra sharma on July 23, 2013 at 10:47pm

 आपकी रचनात्मक अभिव्यक्ति  _/\_ बहुत अच्छी  लगी ,धन्यवाद आदरणीय  किशन जी  

Comment by shubhra sharma on July 23, 2013 at 10:41pm

आदरण़ीय श्याम नारायण वर्मा जी बहुत बहुत आभार  

Comment by shubhra sharma on July 23, 2013 at 10:37pm

आदरण़ीय केतन परमार जी रचना की तारीफ  हेतु बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by shubhra sharma on July 23, 2013 at 10:35pm

आदरण़ीय नेमा जी उत्साह वर्धन हेतु बहुत बहुत धन्यवाद

Comment by Abhinav Arun on July 23, 2013 at 9:13pm

आपके सद् विचार पूर्ण रचना के हार्दिक साधुवाद और शुभकामनाये !!

Comment by annapurna bajpai on July 23, 2013 at 7:04pm

adarniya shubhra ji , bahut hi achche vichar ke sath rachi gai rachna ke liye badhai .

Comment by Shyam Narain Verma on July 23, 2013 at 3:22pm
इस प्रस्तुति हेतु बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ.............
Comment by Ketan Parmar on July 23, 2013 at 2:09pm

बहुत सुन्दर भाव बहुत सुन्दर रचना ... आदरणीया जी बधाई

Comment by बसंत नेमा on July 23, 2013 at 1:10pm
काश  हम इंसान भी होते परिंदे 
जो उड़ते यहाँ भी ,वहाँ भी 
जिन्हें रोक न पाती  लकीरें
छोटी पड़ जाती जहाँ 
नफरतों की दीवारें ......बहुत सुन्दर भाव बहुत सुन्दर रचना ... आदरणीया जी बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service