For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

!!! शोर है सागर में तूफां !!!

छोटी बह्र में गजल-2122, 2122

तुम मुझे अच्छी लगी हो।
मन से तुम सच्ची लगी हो।।

रोज गुल की कामना सी,
शहर की बच्ची लगी हो।

शाम की मुश्किल घड़ी में,
जीत की बस्ती लगी हो।

हुस्न की मलिका सुनो तुम,
आज फिर हस्ती लगी हो।

बाग के हर बज्म में तुम,
राग सी मस्ती लगी हो।

शोर है सागर में तूफां,
मौज की कश्ती लगी हो।

चढ़ गया छत पर पकड़ कर,
सांप सी रस्सी लगी हो।

तुम सदा छत को सॅभाले,
रीढ़ सी धन्नी लगी हो।

फिर कभी ‘सत्यम’ मिले जो
मीत के जैसी लगी हो।

के0पी0सत्यम/मौलिक व अप्रकाशित

Views: 488

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वीनस केसरी on July 26, 2013 at 3:36am

ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें

Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 25, 2013 at 6:28am

इस ग़ज़ल के लिए मैं भी कहूँगा ये मुझे अच्छी लगी है ..इस ग़ज़ल के लिए सत्यम जी आपको हार्दिक बधाई ..सादर 

Comment by ram shiromani pathak on July 24, 2013 at 3:43pm

शोर है सागर में तूफां,
मौज की कश्ती लगी हो।

चढ़ गया छत पर पकड़ कर,
सांप सी रस्सी लगी हो।//////वाह क्या बात है भाई केवल जी ///हार्दिक बधाई //सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 24, 2013 at 10:02am

प्रयास आश्वस्त करता है. इस ग़ज़ल की संप्रेषणीयता बहुत बेहतर है, केवल भाई जी.

शुभम्


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on July 23, 2013 at 11:26pm

प्यारी सी गज़ल के लिये बधाई..........

Comment by shashi purwar on July 23, 2013 at 10:48pm

waah bahut khoob badhai aapko

Comment by Abhinav Arun on July 23, 2013 at 9:15pm

बहुत ख़ूब !! बधाई इस ग़ज़ल के लिए !!

Comment by annapurna bajpai on July 23, 2013 at 6:19pm

अति सुंदर गजल आ० केवल भाई जी ।

Comment by Shyam Narain Verma on July 23, 2013 at 11:07am
बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें ………………

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Mar 31
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Mar 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Mar 30
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service