For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

 

    औरत

 

मैंने  

औरत बन जन्म लिया

हाँ मैं हूँ

एक औरत 

और औरत ही

बनी रहना चाहती हूँ

क्यूंकि

मैं इक बेटी हूँ

मैं इक बहन हूँ

मैं इक पत्नी हूँ

सर्वोपरि इक माँ हूँ

मैं इक पूरी कौम हूँ

 

एवं

इनसे जुडे हर रिश्ते

की बिन्दू हूँ मैं

वो सभी घूमते रहते हैं

मेरे चारों ओर

एक वृत्त की तरह

 

और मैं

चाहे नाचाहे

जाने अनजाने

जुड़ जाती हूँ

इन सबसे

एक सीधी सरल रेखा से

 

सरल रेखा

जो वृत्त के हर एक बिन्दू को

समेट लेती है अपने में  

इसलिए मैं बिन्दू हूँ

और बिन्दू ही बनी

रहना चाहती हूँ

 

क्योंकि

बिन्दू ही है

औरत रूपी धूरी

जो है सारे वृतों का समास

जिसमे समाया है

पूर्ण तुष्टि का आभास

 

विजयाश्री

१८.०७.२०१३

( मौलिक और अप्रकाशित )

 

 

 

 

 

Views: 616

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijayashree on August 8, 2013 at 9:44pm

हार्दिक आभार 

annapurna bajpai जी 

Comment by vijayashree on August 8, 2013 at 9:41pm

आ. डॉ. प्राची जी 

रचना का आपके द्वारा सराहा जाना ....रचना पूर्ण हुई 

हार्दिक आभार 

Comment by vijayashree on August 8, 2013 at 9:39pm

आ. केतन परमार जी 

रचना  सराहना हेतु शुक्रिया 

Comment by vijayashree on August 8, 2013 at 9:37pm

आ. कुंती मुख़र्जी जी 

आप द्वारा सराहना पाकर बहुत ख़ुशी महसूस हुई ..आभार 

Comment by vijayashree on August 8, 2013 at 9:35pm

हार्दिक आभार

जीतेन्द्र गीत जी 

अजय यादव जी 

Comment by vijayashree on August 8, 2013 at 9:33pm

हौंसलाफ्जाही के लिए शुक्रिया 

आ. बृजेश नीरज जी 

     गीतिका वेदिका जी 

Comment by annapurna bajpai on July 23, 2013 at 7:44pm

adarniya vijayashri ji , is sundar rachna ke liye badhai , aapne bahut hi sudar dhang se aurat ke jajbaton ko prastut kiya hai . badhai .


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 23, 2013 at 9:58am

इनसे जुडे हर रिश्ते

की बिन्दू हूँ मैं

वो सभी घूमते रहते हैं

मेरे चारों ओर

एक वृत्त की तरह...............ये धुरी सा जीवन होना अपने आप में एक गौरव है.

सुन्दर भाव 

हार्दिक बधाई आदरणीया विजयाश्री जी 

Comment by Ketan Parmar on July 22, 2013 at 7:28pm

मैं इक पूरी कौम हूँ

bahut hi sachi baat kahi aapne

na jaane ye behra samaj kab isko sweekarega

aur bhrud hatya jaisa ye ghor paap mere desh

se dur kahi bahut dur kahi kho jayega

Comment by Ketan Parmar on July 22, 2013 at 7:26pm

sunder mam daad sweekare

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, इस्लाह और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आदाब,  ग़ज़ल पर आपकी आमद बाइस-ए-शरफ़ है और आपकी तारीफें वो ए'ज़ाज़…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज भाईजी के प्रधान-सम्पादकत्व में अपेक्षानुरूप विवेकशील दृढ़ता के साथ उक्त जुगुप्साकारी…"
6 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"   आदरणीय सुशील सरना जी सादर, लक्ष्य विषय लेकर सुन्दर दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई…"
7 hours ago

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"गत दो दिनों से तरही मुशायरे में उत्पन्न हुई दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति की जानकारी मुझे प्राप्त हो रही…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मोहतरम समर कबीर साहब आदाब,चूंकि आपने नाम लेकर कहा इसलिए कमेंट कर रहा हूँ।आपका हमेशा से मैं एहतराम…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सौरभ पाण्डेय, इस गरिमामय मंच का प्रतिरूप / प्रतिनिधि किसी स्वप्न में भी नहीं हो सकता, आदरणीय नीलेश…"
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय समर सर,वैसे तो आपने उत्तर आ. सौरब सर की पोस्ट पर दिया है जिस पर मुझ जैसे किसी भी व्यक्ति को…"
9 hours ago
Samar kabeer replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"प्रिय मंच को आदाब, Euphonic अमित जी पिछले तीन साल से मुझसे जुड़े हुए हैं और ग़ज़ल सीख रहे हैं इस बीच…"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, किसी को किसी के प्रति कोई दुराग्रह नहीं है. दुराग्रह छोड़िए, दुराव तक नहीं…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"अपने आपको विकट परिस्थितियों में ढाल कर आत्म मंथन के लिए सुप्रेरित करती इस गजल के लिए जितनी बार दाद…"
16 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service