मंद हवा की
लहरों पर बैठ
आकाश ने
हाथों में लिया
सितारों का अक्षत,
अरूणोदय का कुमकुम,
ओस की बूंदें,
बाग से
पुष्प, घास
और तिरोहित कर दी
रात
क्षितिज में।
- बृजेश नीरज
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
sunder panktiya
आदरणीय बृजेश जी
आदरणीया महिमा जी आपका हार्दिक आभार!
आदरणीय बागी जी आपका हार्दिक आभार!
आदरणीय केवल भाई आपका हार्दिक आभार!
आदरणीय राम भाई आपका हार्दिक आभार!
बहुत ही सुंदर .. बधाई आपको
प्राकृतिक सौंदर्य को आपकी रचना के मध्यम से अनुभूति का एक अलग ही आनंद है, अच्छी रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें |
आ0 बृजेश भाई जी, अतिसुन्दर अभिव्यक्ति। हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर,
आदरणीय भाई ब्रिजेश जी बहुत सुन्दर चित्रण किया है आपने//////हार्दिक बधाई आपको
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