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उड़न -खटोले पर चढ़े, आये 'प्रभु' निर्दोष,
अपनी निष्क्रिय फ़ौज में जगा गए कुछ जोश !

राहत की चाहत जिन्हें उन्हें न पूछे कोय ,

इधर-उधर घूमे फिरे और गए फिर सोय !

भटक रहे विपदा पड़े, ढूंढ रहे हैं ठांव ,

ये अपने सरकार जी कब बांटेंगे छाँव ?

विपदा खूब भुना रहे सत्ता का सुख भोग,
भूखे,नंगे ,काँपते इन्हें न दिखते लोग !

श्रेय कौन ले जाएगा मची हुई है होड़,

जोड़-तोड़ के खेल में गए कई रण-छोड़ !

_____________________प्रो.विश्वम्भर शुक्ल 

(मौलिक और अप्रकाशित )

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Comment

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Comment by Ayub Khan "BismiL" on July 14, 2013 at 1:04am

bahut khoob Vishambhar sahab apka jawaab nahi facebook pe bhi or yahan bhi

Comment by geetanjali geet mishra on July 12, 2013 at 3:28pm
श्रेय कौन ले जाएगा मची हुई है होड़,

जोड़-तोड़ के खेल में गए कई रण-छोड़ !bahut sundar
Comment by कल्पना रामानी on July 8, 2013 at 11:17pm

उड़न -खटोले पर चढ़े, आये 'प्रभु' निर्दोष,
अपनी निष्क्रिय फ़ौज में जगा गए कुछ जोश !

बहुत सुंदर सामयिक दोहे, आदरणीय विश्वंभर जी, हार्दिक बधाई आपको!

 

Comment by बृजेश नीरज on July 4, 2013 at 10:00pm

आपकी यह समसामयिक रचना बहुत सुन्दर है! हार्दिक बधाई आपको!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 4, 2013 at 7:41pm

विपदा खूब भुना रहे सत्ता का सुख भोग,
भूखे,नंगे ,काँपते इन्हें न दिखते लोग !....

प्रशासन पर सटीक दोहा लिखा है आदरणीय 

सभी दोहे सामयिक घटनाक्रम को सटीकता से बखान करते हैं 

सादर.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 4, 2013 at 11:28am

आजके घटनाक्रम पर नज़र और उसकी नब्ज़ पर बखूबी उँगलियाँ रखी हैं. यह रचनाकार की संवेदनशीलता को बताता है,

बहुत बहुत बधाई इन दोहों पर आरणीय.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on July 3, 2013 at 9:00pm

आदरणीय विशम्भर शुक्ल जी, सुंदर और सामयिक दोहों के लिये बधाई..............

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 3, 2013 at 8:23pm

आ0 विश्वम्भर सर जी,  अतिसुन्दर दोहे।  हार्दिक बधाई स्वीकारें।  सादर,

Comment by Sarita Bhatia on July 3, 2013 at 6:29pm

बहुत सुंदर सामयिक दोहे ,बधाई स्वीकारें 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 3, 2013 at 5:09pm

वाह आदरणीय प्रोफ़ेसर साहब, एक दम सामयिक दोहावली लिखी है, सभी दोहें अच्छे लगें, बधाई स्वीकार करें . 

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