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!! वो कौन था !!

 

आये तो कई लोग, ज़िन्दगी मे मेरी मगर ।

वो कौन था जो सीधे, दिल मे समा गया ।।

सब तकते रहे राहे, मेरे आने की मगर ।

वो कौन था जो मुझे, इंतजार करा गया ।।

पाने को झलक मेरी, जमाना लडा मगर  ।

वो कौन था जिसकी झलक पे, मै मर गया ॥

चाँद तो आँसमा पे है, सब कहते रहे मगर ।

वो कौन था जो रात, मेरी खिडकी पे आ गया ।।

रखता हू कदम जँमी पर, फूँक फूँक कर मगर ।

वो कौन था जो निगाहो से, मुझे घायल कर गया ।।

बनते है संगेमरमर से, तो बेजान बुत मगर  ।

वो कौन था जो कल मेरी, महफिल मे आ गया ।।

आता हू मै ख्वाबों मे, हसीनाओ के मगर ।

वो कौन था जो कल मेरे, ख्वाबों मे आ गया ।।

पीते है सब लोग तो, मयखानो मे  मगर ।

वो कौन था जो मुझे, आंखो से पिला गया ।।

है फूल हजारो बाँग मे, तेरे माली मगर ।

वो कौन था जो मेरी, रुह को महका गया ।।

 

अब तक तो जिया हू मै, तन्हा जिन्दगी मगर  ।

वो कौन था जो अब, जीना मुहाल कर गया ।।

सुना है की लुटता है इश्क, देख के हुस्न को मगर ।

वो कौन था जो आंखो से मुझको, लूट के ले गया ।।

अब से पहले भी था मौसम, दीवाना बडा मगर ।

वो कौन था जो बसंत को शायर  बना गया ।।

"मौलिक व अप्रकाशित"

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Comment by बसंत नेमा on July 2, 2013 at 10:33am

आदरणीय हरिश जी  रचना आप को पसन्द आई उसके के लिये बहुत बहुत आभार .. धन्यवाद ...

Comment by बसंत नेमा on July 2, 2013 at 10:31am

आदरणीया प्राची जी रचना को मान देने के लिये बहुत बहुत आभार .. धन्यवाद ...

Comment by Harish Upreti "Karan" on July 1, 2013 at 11:38pm

वो कौन था जो सीधे दिल में समां गया.......उत्तम

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 1, 2013 at 6:24pm
आदरणीय..बसंत जी, बहुत सुंदर रचना, बधाई स्वीकार करें
Comment by बसंत नेमा on July 1, 2013 at 4:03pm

आ0 अमन जी आप से क्या छुपाना जल्द ही खुलासा करेंगे .... रचना आप को पसन्द आई .उसके लिये बहुत बहुत  आभार ...शुकिया  

Comment by बसंत नेमा on July 1, 2013 at 4:01pm

आदरणीया गीतिका जी  आप क बहुत बहुत आभार  रचना आप को पसन्द आई ...

Comment by बसंत नेमा on July 1, 2013 at 3:59pm

आ0 अरुन जी आप की लालसा को जल्द ही शांत करने की कोशिश करुंगा .......बहुत बहुत धन्यवाद  ,    

Comment by aman kumar on July 1, 2013 at 1:26pm

वो था कोन ?

जो बसंत को शायर  बना गया |

पाठको को एक कवि दे गया .........

असली बात तो बतायेंगे नही पर बड़ी अच्छी कविता बन पड़ी है ..........

आभार 

Comment by वेदिका on July 1, 2013 at 12:44pm

सही कहा अरुण जी! 

बढ़िया प्रश्न,, खूद से ही!!  

प्रस्तुति पर बधाई स्वीकारें

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 1, 2013 at 12:29pm

आदरणीय बहुत ही सुन्दर प्रयास है, आदरणीय वो कौन या वो कौन थी? ये जानने की लालसा मुझे भी हो चली है पता चले तो बताइयेगा जो इतना कुछ कर गया आपके साथ. बहरहाल प्रस्तुति पर बधाई स्वीकारें.

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