For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आज हमे दोनों वक़्त खाना मिल जायेगा

बंज़र होती धरती
किसान बे-हाल है
सोच रहा है इस बार भी पानी मिलेगा
मेरी फसल को या नही
या गुजरे कई सालो जैसा ही
ये साल है .........
सोच रहा है ......
क्या कम होगा .......?????
इस बार मेरे कर्ज का बोझ
या कहीं हर साल की तरह इस साल भी तो 
बढ़ नही जायेगा दिल पर मेरे
अन्नदाता होने का बोझ ..........
पढ़- लिख कर लोग बड़े बनते हैं
मैं ठहरा अनपढ़  गंवार ........
नाम अन्नदाता है मेरा
मगर मेरे घर में नही खाने को
दाने चार ..........
रह -रह कर बाबा की बाते
याद आती हैं मुझको आज
बेटा पढ़-लिख ले तू तो
वरना रह जायेगा मुझ जैसा गंवार .......
काश कि मैं भी पढ़ लेता
तो आज बड़ा आदमी होता ....
जिस अनाज को उगाकर भी भूखा सोता हूँ
खरीद लेता उसको दो पल में ही
देकर मैं कुछ पैसे बाज़ार ......
बाबा तो फिर भी अच्छे थे
लेकिन मैं तो हूँ इतना मजबूर
कहता है मेरा बेटा मुझसे
बाबा मैं भी जाउंगा स्कूल ...
मैं नजरे बचाकर कहता हूँ उससे

तू मेरे साथ काम पर चलेगा बेटा तो
आज हमे दोनों वक़्त खाना मिल जायेगा .....!!!!!

Views: 739

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 22, 2013 at 10:41pm

आदरणीया सोनम जी सादर, सुन्दर रचना  है, कुछ अति शयोक्ति हो सकती है किन्तु मजबूरियाँ भी कम नहि सादर बधाई स्वीकारें.

Comment by वेदिका on May 22, 2013 at 1:59pm
अतुकांत शैली में सुंदर प्रयास प्रिय सोनम जी! 
किन्तु मुझे ये पंक्तियाँ ग्राह नही हो सकीं 

काश कि मैं भी पढ़ लेता 
तो आज बड़ा आदमी होता ....
जिस अनाज को उगाकर भी भूखा सोता हूँ 
खरीद लेता उसको दो पल में ही 
देकर मैं कुछ पैसे बाज़ार ......

अगर वो बड़ा आदमी होता तो मतलब कोई न कोई छोटा होता जो अन्न उगाता है तो फिर भी समस्या वहीं की वहीं रह जाती है इन्ही पंक्तियों में ....
मुझे लगता है की समस्या का मूल अशिक्षा है ....किसान होना नहीं ...आजकल MBAs भी किसानी कर रहे है और मलेशिया जैसे देशों में लोग अपनी कुछ  एकड़ जमीन से कई गुनी पैदावार कर रहे है ..
दुसरे पक्ष पर गौर किया जाये तो आपने जो समस्या सामने रखी "अनावृष्टि" वह मात्र किसान की समस्या नही वरन इकोलॉजी असंतुलन की समस्या है एक एक प्राणी की समस्या है जिसे हम सबको ही सुलझाना है ...वरना हम सबको ही भुगतान करना होगा 
फ़िलहाल सुन्दर विचारों पर बधाई स्वीकारिये 
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 22, 2013 at 12:43am
आदरणीया सोनम जी ..आपने बहुत ही सही विषय पर विचार करके अपनी कविता लिखी है, हालाँकि किसान पढा लिखा हो या गवाँर, पर इक आशा में रहता है! कि इस वार वह अधिक मेहनत करेगा, खुद के परिवार औऱ देशवासियों के लिऐ कुछ कर दिखायेगा ...

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 21, 2013 at 10:12pm

प्रिय सोनम सैनी जी 

अनावृष्टि के चलते किसान को ही जब अन्न न नसीब होता हो ..उस स्थिति के दर्द को, मजबूरी को, शब्दबद्ध करने का सुन्दर प्रयास किया है.. हार्दिक बधाई 

Comment by aman kumar on May 21, 2013 at 2:43pm

बहुत  अच्छी कविता ! आपका आभार 

Comment by बृजेश नीरज on May 21, 2013 at 1:33pm

आदरणीया मेरे गांव में तो किसानी का ऐसा कोई काम नहीं होता कि उसके लिए स्कूल न जाया जा सके। आपके गांव में कोई ऐसा काम होता हो तो नहीं कहा जा सकता। किसानों की समस्याएं अपनी जगह हैं। देश के किसानों के जो बदतर हालात हैं उससे कौन इंकार कर सकता है। किसान गंवार हो या पढ़ा लिखा समस्याएं कहां कम होने वालीं।
बहरहाल, आप प्रसन्न रहें।

Comment by Sonam Saini on May 21, 2013 at 1:26pm

आदरणीय ब्रजेश नीरज जी नमस्कार
ये तो आपने सही समझा कि लिखने से पहले मैं सोचती नही हूँ, हाँ लिखने के दौरान थोडा सोच लेती हूँ ,....
किसान के हालात, उसपर बढ़ता कर्ज का पढ़ाई से क्या संबंध है ?? इस सवाल का जवाब वो हजारो, लाखो बच्चे
बेहतर दे पाएंगे जिनकी पढाई सिर्फ इसलिए छुड़ा दी जाती है क्यूंकि उन्हें अपने माँ -पापा के साथ काम पर जाना होता है ,
.धन्यवाद 
 

Comment by Sonam Saini on May 21, 2013 at 1:17pm

आदरणीय अभिनव अरुण जी नमस्कार
रचना को पसंद करने हेतु आभार  व धन्यवाद

Comment by Sonam Saini on May 21, 2013 at 1:11pm

आदरणीय राजेश कुमार झा जी नमस्कार
आप क्या कहना चाह रहे हैं मैं समझ रही हूँ , जैसे मैंने जवाहर सर को दी गयी प्रतिक्रिया में कहा है कि जैसे पांचो उंगलिया एक सामान नही होती वैसे ही सभी किसानो की हालत भी एक जैसी नही है , लेकिन अधिकतर किसानो/ मजदूरो की यही हालत है ....ये मैंने हकीक़त में देखा है ...........प्रतिक्रिया हेतु धन्यवाद

Comment by Sonam Saini on May 21, 2013 at 1:08pm

धन्यवाद आदरणीय केवल प्रसाद जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
""रोज़ कहता हूँ जिसे मान लूँ मुर्दा कैसे" "
10 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"जनाब मयंक जी ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, गुणीजनों की बातों का संज्ञान…"
14 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय अशोक भाई , प्रवाहमय सुन्दर छंद रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई "
34 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय बागपतवी  भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक  आभार "
37 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी आदाब, ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाएँ, गुणीजनों की इस्लाह से ग़ज़ल…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
9 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, इस्लाह और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
9 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आदाब,  ग़ज़ल पर आपकी आमद बाइस-ए-शरफ़ है और आपकी तारीफें वो ए'ज़ाज़…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज भाईजी के प्रधान-सम्पादकत्व में अपेक्षानुरूप विवेकशील दृढ़ता के साथ उक्त जुगुप्साकारी…"
10 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"   आदरणीय सुशील सरना जी सादर, लक्ष्य विषय लेकर सुन्दर दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई…"
10 hours ago

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"गत दो दिनों से तरही मुशायरे में उत्पन्न हुई दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति की जानकारी मुझे प्राप्त हो रही…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मोहतरम समर कबीर साहब आदाब,चूंकि आपने नाम लेकर कहा इसलिए कमेंट कर रहा हूँ।आपका हमेशा से मैं एहतराम…"
12 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service