For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

माँ //कुशवाहा //

----

कोई याद रहे या न रहे
कोई साथ रहे या न रहे
हम रहें या  न रहें
तुम रहो या न रहो
हमेशा वो  रहती है
स्वयं और उसकी यादें
माँ

प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा 

१-५-२०१३ 

मौलिक/अप्रकाशित 

Views: 413

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 4, 2013 at 7:14am

आदरणीय प्रदीप जी, माँ के प्रति सुंदर अभिव्यक्ति. सुन्दर.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 3, 2013 at 4:06pm

आदरणीय मनोज शुक्ल जी 

सादर आभार 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 3, 2013 at 12:50pm

सच में,

प्रिय ब्रजेश जी 

हिम्मत बढ़ी लिखने हेतु. 

सस्नेह आभार 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 3, 2013 at 12:49pm

आदरणीय राजेश कुमारी जी 

सादर 

प्रोत्साहन हेतु आभार 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 3, 2013 at 12:48pm

प्रिय केवल प्रसाद जी 

सस्नेह आभार 

Comment by manoj shukla on May 2, 2013 at 7:35am
बहुत सुन्दर भाव...बधाई स्वीकारें अदर्णीय
Comment by बृजेश नीरज on May 1, 2013 at 10:19pm

आदरणीय प्रदीप जी इस रचना में आपका कवि पूरी तरह से निखर रहा है। बहुत सुन्दर! मां को इस बेहतर नमन क्या हो सकता है! आपको इस सुन्दर रचना पर ढेरों बधाई!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 1, 2013 at 9:40pm

माँ  के चरणों में ये शब्द पुष्प दिल को छू गए माँ को नमन 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 1, 2013 at 8:29pm

आ0 कुशवाहा जी,   वाह सर जी,  आपने कितने अन्तर्मन से मां के प्रति श्रध्दा सुमन अर्पित किया है। आपको तहेदिल से हार्दिक बधाई।  सादर,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​आपकी टिप्पणी एवं प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आ. भाई तमाम जी, हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आ. भाई तिलकराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति , स्नेह और मार्गदर्शन के लिए आभार। मतले पर आपका…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, आपकी टिप्पणी एवं मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार। सुधार का प्रयास करुंगा।…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। आ. भाई तिलकराज जी के सुझाव से यह और निखर गयी है।…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service