हिंदी भाषा के शिंगार रस छंद अलंकार
नव शब्द माल लेके गीत तो बनाइए
संधि प्रत्यय समास, हों मुहावरे भी ख़ास
भाव रंगों में डुबो के कविता रचाइए
गीत या निबन्ध हो नवल भाव सुगंध हो
साहित्य सरोवर में डुबकी लगाइए
विद्या वरदान मिले लेखनी को मान मिले
अपनी राष्ट्र भाषा का मान तो बढाइए
भाव गहन बढे जो ध्यान नदिया चढ़े जो
लेखनी की नाव लेके पार कर जाइये
ह्रदय में प्रकाश हो मुट्ठी भरा आकाश हो
प्रज्ञा पुंज अर्णव से अलख जगाइये
हो छंदों की बरसात भीगे मन पात- पात
ज्ञान अमृत बूँदे पीके प्यास बुझाइये
नित जिसकी छाँव हो असीमित प्रभाव हो
ऐसा विद्या कल्पतरु घर में उगाइए
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Comment
आदरणीय लक्ष्मण जी घनाक्षरी को पसंद करने ,सराहने हेतु आपका हार्दिक आभार इसी तरह उत्साह वर्धन करते रहिएगा ।
घनाक्षरी के भाव, कथ्य और ग्यायन में लय अति सुन्दर
पूरी व्य्याकर्ण ही समाविष्ट कर दी, हार्दिक बधाई आदरणीया राजेश कुमरी जी
आदरणीय अरुण कुमार निगम जी घनाक्षरी पर आपका अनुमोदन ,सराहना पाकर लेखनी धन्य हुई हार्दिक आभार आपका।
आदरेया, प्रथम घनाक्षरी में हिंदी व्याकरण के अवयवों का कुशलता से प्रयोग करके चमत्कृत ही कर दिया है. हिंदी प्रेम में पगी दोनों घनाक्षरी सुंदर, सुंदरतम,अति सुंदर, वाह !!!!!!
आदरणीय अशोक रक्ताले जी घनाक्षरी पर उत्साह वर्धन करती हुई आपकी टिप्पणी हेतु हार्दिक आभार आपका |
आदरणीय विजय निकोर जी हार्दिक आभार आपका |
प्रिय प्राची जी घनाक्षरी उसके भाव आपको पसंद आये जानकार ह्रदय प्रसन्न हुआ इस उत्साह वर्धन करती टिप्पणी हेतु हार्दिक आभार
राज जी,
प्रेरित कारती सुन्दर घनाक्षरी के लिए साधुवाद।
सादर,
विजय निकोर
हिंदी साहित्य के उत्थान की कामना लिए रचे गए कवित्त पर बहुत बहुत बधाई स्वीकारें आदरेया राजेश कुमारी जी.
बहुत सुन्दर कथ्य घनाक्षरी का आदरणीया राजेश जी...
हिंदी भाषा के शिंगार रस छंद अलंकार
नव शब्द माल लेके गीत तो बनाइए .............अहा!!! बहुत सही कहा है
संधि प्रत्यय समास, हों मुहावरे भी ख़ास
भाव रंगों में डुबो के कविता रचाइए .............कितना उत्साह है इन पंक्तियों में ..सुन्दर आह्वाहन
बहुत बहुत बधाई
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