कमला बाई को सुबह सुबह दरवाजे पर बुरी हालत में देख रीना का माथा ठनका , एक्सीडेंट के कारण हास्पिटल में भर्ती हुई कल ही तो एक हफ्ते बाद वापस लौटी है ।सर पर पट्टी गले की हँसली टूटने पर पीछे हाथ कर बाँधी हुई पूरी छाती पर पट्टी ,आँखे सूजी हुई देखते ही फफक- फफक कर रो पड़ी कमला रीना के बहुत बार पूछने पर बताया "मेमसाब मेरी पट्टी देखकर मेरे दो साल के बच्चे ने जो एक हफ्ते से तरस रहा था दूध को मुंह भी नहीं लगाया शायद मेरे दर्द को महसूस किया पर वो इसके हरामी बाप ने कल !!बीच में फिर फफक कर रो पड़ी कमला कई बार पूछने पर बोली"अपने तीन बेवड़े दोस्तों के साथ रात भर पीता रहा बोला आज तो बिना सींघो की गाय है तुम भी मजे !!!!और मेम साब रात भर !! इतना कहते कहते कमला की आँखों में अंगारे दहक़ उठे,सुनकर रीना सन्न रह गई अवाक निशब्द !अब क्या करना है कमला ?रीना ने पूछा ,कमला ने अपनी हिचकियाँ रोकते हुए कहा मेमसाब कुछ पैसे दे दीजिये चूहे मारने की दवाई लानी है सुनते ही रीना अन्दर तक सिहर उठी बोली नहीं कमला क्या करना चाहती हो तुम्हारा दो साल का बेटा ,नहीं मेमसाब! कमला बीच में ही बात काट के बोली कमला इतनी कमजोर भी नहीं, वो तो घर में जहरीले चूहे ज्यादा हो गए हैं कल तो मेरी आत्मा तक काट डाली , और दो दिन बाद अख़बार में खबर छपी की तीन चार लोग जहरीली शराब पीकर अस्पताल में मर गए ।
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बहुत बहुत शुक्रिया आ० कुंती जी इस लघुकथा का अनुमोदन करने के लिए ,खेद है इस पोस्ट पर बहुत दिन बाद आना हुआ आई तो आपका कमेन्ट देखा.
इस लघु कथा से यही शिक्षा मिलती है कि अगर औरत दूध पिलाती है तो अत्यचारी को ज़हर भी पिला सकती है .बस थोड़ी हिम्मत चाहिये. सुंदर उदाहरण. राजेश कुमारी जी बहुत बधाई .
सादर आभार आदरणीया.
आदरणीय सौरभ जी आपकी कविता की इन पंक्तियों ने ही सब कुछ कह दिया उसके जबाब में बस इतना ही कहूँगी ,कि भगवान् भी बनाते वक़्त सचेत था वरना गुलाब को कोमलता के साथ कांटे न दिए होते।आपकी पंक्तियों ने अनुमोदन कर मेरी लेखनी का मान बढाया आपका हार्दिक आभार|
प्रिय संदीप ये चंडी शक्ति हर नारी में निहित है जिसकी पुरातन से पूजा होती आई है कमी है पहचानने वाले की जो पहचानते हैं ,पूजते हैं, सम्मान करते हैं इस शक्ति का, सामान्य खुशहाल जीवन जीते हैं जो नहीं पहचानते वो चूहे की मौत पाने के हक़दार हैं
आदरणीय राजेश कुमारीजी, आपकी इस सशक्त लघुकथा की शान में अपनी एक कविता प्रस्तुत करना चाहूँगा -
कहीं कुछ नहीं हुआ तो क्या जाता है
मगर कुछ हुआ
तो बहुत कुछ होगा.. . सोचते हुए
उसके हाथ
अब अर्जियाँ नहीं
रह-रह कर
गँड़ासे उठा लेते हैं. ..
इसके आगे कुछ कहना न संभव है न उचित.
सादर.
जय हो नारी शक्ति की
ये है शक्ति का स्वरुप पहले ही निपटा दिया होता तो कमजर्त इतना भी न कर पाते
बहुत बहुत बाधाई हो आदरणीया
जय हो
आप सही कह रही हैं प्रिय प्राची जी कोई नारी यूँ ही चंडी नहीं बन जाती हालात के वशीभूत होकर अपने को ख़त्म करने जैसी भीरुता न दिखाकर इस गंदगी को ख़त्म करना ही बढ़िया विकल्प है ताकि इस गंदगी से और दुसरे तो प्रभावित ना हो कमला का फेंसला प्रेरणा दायक था कहानी के मर्म को गहराई तक महसूस कर सुन्दर विश्लेषण करने अनुमोदन करने हेतु दिल से आभार आपका ।
केवल प्रसाद जी कहानी के मर्म ने आपको प्रभावित किया ह्रदय से आभारी हूँ |
ब्रजेश सिंह जी कहानी के मर्म ने आपको छुआ आपकी सराहना हेतु हार्दिक आभार |
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