सखी री मोरे अंगना में धूप खिली आज
मन की प्रणय पाती साजन को मिली आज
हुआ यकायक मुझे अंदेशा
भेजा उसने कोई संदेशा
नेह नीर बिना शुष्क हुई थी
देह प्रीत बिना रुष्ट हुई थी
लिपट पवन संग हिय तरु की डारि हिली आज
सखी री मोरे अंगना में धूप खिली आज
आह्लादित मन लहका- लहका
प्रीत उपवन है महका- महका
मिले गले जब भ्रमर औ कलिका
हया दीप संग जलती अलिका
विरहाग्नि से हुई विक्षत चुनरिया सिली आज
सखी री मोरे अंगना में धूप खिली आज
जाने क्यों ये मन भरमाया
खुदी में ढूँढू उसका साया
इत - उत देखूं लगे वो आया
झट चौखट पे दीपक जलाया
सागर मन मध्य मौजों की खुशियाँ रिली आज
सखी री मोरे अंगना में धूप खिली आज
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Comment
प्रिय वंदना तिवारी जी आपको गीत रुचिकर लगा प्रशंसा हेतु हार्दिक आभार आपका ।
राजेश कुमार झा जी आपको गीत पसंद आया हार्दिक आभार आपका।
बड़ी मीठी रचना आपने पोस्ट की है, इस मीठेपन के लिए हार्दिक बधाई
प्रिय विजय श्री जी आपको गीत पसंद आया उत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार |
सखी री मोरे अंगना में धूप खिली आज
जाने क्यों ये मन भरमाया
खुदी में ढूँढू उसका साया
इत - उत देखूं लगे वो आया
झट चौखट पे दीपक जलाया
सागर मन मध्य मौजों की खुशियाँ रिली आज
प्रेम रस में पगी सुंदर रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई
योगी सारस्वत जी आपने गीत का आनंद लिया आपकी उत्साह वर्धन करती हुई टिपण्णी हेतु हार्दिक आभार |
नेह नीर बिना शुष्क हुई थी
देह प्रीत बिना रुष्ट हुई थी
लिपट पवन संग हिय तरु की डारि हिली आज
सखी री मोरे अंगना में धूप खिली आज
आह्लादित मन लहका- लहका
प्रीत उपवन है महका- महका
मिले गले जब भ्रमर औ कलिका
हया दीप संग जलती अलिका
विरहाग्नि से हुई विक्षत चुनरिया सिली आज
सखी री मोरे अंगना में धूप खिली आज
बहुत दिनों बाद श्रृंगार रस की बहुत सुन्दर रचना पढने को मिली है ! बहुत सुन्दर आदरणीया राजेश कुमारी जी ! बधाई
आदरणीय गणेश बागी जी आपको गीत पसंद आया मेरी लेखनी को सार्थकता मिली दिल से आभारी हूँ ।
नायिका जब प्रीतम से मिलती है तभी दिन धूपमय और रात चाँदनी होती है, श्रृंगार रस में पगी बहुत ही सुन्दर रचना, बधाई प्रेषित है आदरणीया राजेश कुमारी जी ।
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