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ख्वाब यूँ तूफ़ानी हो गये

ख्वाब यूँ तूफ़ानी हो गए ,
रिश्ते भी जिस्मानी हो गए
,
बदले करवट ज़िंदगी , हर पल हर छिन ,
लक्ष्य भी आसमानी हो गए ,


क्या दिखाएँ जलवा , अपने अश्कों का ,
गम ही किसी की , मेहरबानी हो गए ,


नहीं आता रोना उनके सितम पे ,
फिक्रे वफ़ा , किस्से कहानी हो गए ,


बेहया हो गया ये आँखों का परदा ,
सुना हे जबसे , वे रूमानी हो गए ,


छोड़ दिया मिलना गैरों से हमने ,
बंधन दिलों के ,बेमानी हो गये ,

अश्क

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 392

Comment

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Comment by Rohit Singh Rajput on April 11, 2013 at 4:46pm

wow..its really superb....really nice...i love this one so much

Comment by बृजेश नीरज on April 10, 2013 at 8:02pm

क्या यह गज़ल है?

Comment by वेदिका on April 10, 2013 at 1:59pm

वाह वाह ....बहुत खूब .....क्या खूब कहा आपने 
नहीं आता रोना उनके सितम पे ,
फिक्रे वफ़ा , किस्से कहानी हो गए ........ शुभकामनायें स्वीकारे  आदरणीय अशोक जी!
सादर गीतिका 'वेदिका'

Comment by ram shiromani pathak on April 10, 2013 at 1:19pm

बहुत सुंदर अशोक जी .लेकिन  एक  साथ  इतनी रचनाएँ पाठको  के साथ ज्यादती......बेशक आपकी रचना अच्छी है ....कृपा कर इस बात का ध्यान दीजियेगा आदरणीय ...अन्यथा न ले .....हार्दिक आभार 

Comment by coontee mukerji on April 10, 2013 at 11:20am

वाह ....वाह  ...बहुत खूब ......एसे ही लिखते रहिये , बहुत सुंदर अशोक जी .

Comment by Bishwajit yadav on April 10, 2013 at 9:38am
प्रणाम अशोक जी बहुत सुन्दर

ख्वाब यूँ तूफ़ानी हो गए ,
रिश्ते भी जिस्मानी हो गए

शुभकामना एव बधाई.
..

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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