फूलों को तू सूंघ मत, आज अप्रैल फूल|
हो सकता है फूल में, हो मिर्ची की धूल||
तू देख वतन पश्चिमी, कितने होते धूर्त|
मूर्ख दिवस देकर हमें, कहते हमको मूर्ख||
नेता को देखो सड़क, गलत कर रहा पार|
अंधे ने बाहें पकड़, बचा लिया सरकार||
हाथी बोला गर्व से, मैं तगड़ा ऐ ढीठ|
चूजा बोला मैं बड़ा, बैठा तेरी पीठ||
नब्बे प्रतिशत मूर्ख हम, दस प्रतिशत बेकार|
फिर मूर्खों के देश में, क्यों करते व्यापार||
कौवों में प्रतियोगिता, रखते अपनी बात|
उल्लू बैठा सो रहा, जगता सारी रात||
बूढ़े तोतों से भरी, देख पेड़ की डाल
युवा देखें टुकर-टुकर, मन में उठे सवाल
*******************************************
Comment
आदरणीय सौरभ जी हार्दिक आभार आपको दोहे रुचिकर लगे मूर्खता दिवस की हुबेच्छायें स्वीकार की
प्रिय अल्पना वर्मा जी हार्दिक आभार आपको दोहे रुचिकर लगे स्नेह बनाए रखिये
मूर्ख दिवस पर बहुत बढिया व्यंग रचना आदरणीया राजेश जी...
फूलों को तू सूंघ मत, आज अप्रैल फूल|
हो सकता है फूल में, हो मिर्ची की धूल||.....हाहाहा
मूर्ख दिवस पर.....happy belated APRIL FOOL.(हाहाहा)
सादर.
नब्बे प्रतिशत मूर्ख हम, दस प्रतिशत बेकार|
फिर मूर्खों के देश में, क्यों करते व्यापार||
इस दोहे के आलोक में आपके सभी दोहों पर बधाई.. .
मूर्ख दिवस की हुभेच्छाएँ
नब्बे प्रतिशत मूर्ख हम, दस प्रतिशत बेकार|
फिर मूर्खों के देश में, क्यों करते व्यापार||
वाह!
बहुत बढ़िया कविता है.
श्री राम जी सराहना हेतु आभार
" सुंदर प्रस्तुति ... बहुत-बहुत बधाई"
ब्रजेश कुमार जी आपको रचना पसंद आई हार्दिक आभार आपको भी बधाई
आदरणीया बहुत सुन्दर ढंग से बात कही आपने! सटीक कटाक्ष किया आपने।
ओ बी ओ की वर्षगांठ की आपको हार्दिक बधाई!
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online