For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गज़ल/ अनजान रहा अक्सर

दीदार का बस तेरे अरमान रहा अक्सर

इस प्यार से तू मेरे अनजान रहा अक्सर

 

बाजार में दुनिया के हर चीज तो मिलती है

तेरे हबीबों में भी धनवान रहा अक्सर

 

जिस वक्त दुनिया में था घनघोर कहर बरपा

उस वक्त भी रौशन ये श्मशान रहा अक्सर

 

हर ओर इन गलियों में इक शोर सा मचता है

हाकिम का ही तो यह भी एहसान रहा अक्सर

 

मेरी मुरादों ने अपना रूप बदल डाला

ईमान के चक्कर में नुकसान रहा अक्सर

                                    -  बृजेश नीरज

Views: 547

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on March 24, 2013 at 7:47pm

वंदना जी आपका आभार!

Comment by बृजेश नीरज on March 24, 2013 at 7:46pm

आदरणीय लक्ष्मण जी आपका आभार!

Comment by बृजेश नीरज on March 24, 2013 at 7:45pm

आदरणीय स्वर्ण जी आपका आभार!

Comment by बृजेश नीरज on March 24, 2013 at 7:44pm

आदरणीय अशोक जी आपका आभार!

Comment by Vindu Babu on March 23, 2013 at 10:40pm
वाह क्या बात है।बहुत ही अच्छी तरह से शब्दो और भावों को सजाया है आपने।
मेरी मुरादो ने अपना रूप बदल डाला
इमान के...
अति सुन्दर
सादर
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 23, 2013 at 9:43am

उम्दा गजल, बहुत खूब, बधाई श्री ब्रिजेश कुमार सिंह जी 

Comment by Dr. Swaran J. Omcawr on March 23, 2013 at 9:04am

बहुत बढ़िया    जी 

"जिस वक्त दुनिया में था घनघोर कहर बरपा

उस वक्त भी रौशन ये श्मशान रहा अक्सर..."

शेयर शेयर करने के  लिए धन्यवाद!

Comment by Ashok Kumar Raktale on March 23, 2013 at 8:43am

आदरणीय ब्रजेश 'नीरज' जी बढ़िया गजल दाद कुबुलें.

Comment by बृजेश नीरज on March 22, 2013 at 6:43pm

आदरणीय राम शिरोमणि जी आपका आभार!

Comment by बृजेश नीरज on March 22, 2013 at 6:42pm

आदरणीय राजेश भाई आपका आभार!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
18 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बढ़िया शीर्षक सहित बढ़िया रचना विषयांतर्गत। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"रचना पटल पर उपस्थिति और विस्तृत समीक्षात्मक मार्गदर्शक टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय तेजवीर…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"जिजीविषा गंगाधर बाबू के रिटायर हुए कोई लंबा अरसा नहीं गुजरा था।यही दो -ढाई साल पहले सचिवालय की…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी , इस प्रयोगात्मक लघुकथा से इस गोष्ठी के शुभारंभ हेतु हार्दिक…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service