For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुछ रिश्ते अनाम होते हें
बन जाते हें
यूँ हीं, बेवजह, बिना समझे
बिना देखे, बिना मिले ....
महसूस कर लेते हें एकदूजे को
जैसे हवा महसूस कर ले खुशबु को
मानो मन महसूस कर ले आरजू को
मानो रूह महसूस कर ले बदन को
मानो बादल महसूस कर ले गगन को
मानो ममता महसूस कर ले माँ को
कैसे बन जाते हें ...
ये अनायास ... अजनबी रिश्ते
पता भी नहीं चलता ....
जब तक दूर नहीं होते हमसे ....
और तब...
सवाल उठते हें जहन मैं
वजूद पूछते हें रिश्तों का
क्या ये रिश्ता .. पिछले जन्म का है ???
और अगर नहीं ?
तो क्यूँ खींचता है ?
जैसे लोहा खींचे चुम्बक को ...
जज्बात शायद वजह होगी... !!
पर, इतना जज्बाती भी क्यूँ होता है कोई....
कि, जिसको देखा नहीं, सुना नहीं, छुआ नहीं...
महसूस होता है हर कहीं ..
वो एकाएक क्यूँ इतना अज़ीज़ हो जाता है... ?
ये रिश्ता आखिर क्या कहलाता है..??
बोलो ...., बोलो ...न.....

Views: 452

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 22, 2013 at 4:04pm

अनाम रिश्तों की खूबसूरत कश्मकश.. पर कुछ सवाल शायद कभी ज़वाब नहीं पाते...यही शायद खूबसूरती भी है.

शुभकामनाएं 

Comment by Amod Kumar Srivastava on March 22, 2013 at 10:58am


आदरणीय मीना पाठक जी, वंदना तिवारी जी, योगी सारस्वत जी, मुखर्जी जी तथा विजय निकोर जी   बहुत बहुत धन्यवाद आप लोगों की मधुर प्रतिक्रिया के लिये.

Comment by Meena Pathak on March 21, 2013 at 7:20pm

क्या बोलूँ .. शायद एहसास का रिश्ता है .. बहुत सुन्दर लिखा आप ने बधाई आप को 

Comment by Vindu Babu on March 21, 2013 at 3:12pm
शायद अनाम कहना ही उचित होगा इस अद्भुत् रिश्ते को श्री अमोद महोदय!
बहुत सुन्दर भाव संकलित किये हैं आपने.
सादर बधाई
Comment by Yogi Saraswat on March 21, 2013 at 11:06am

और अगर नहीं ?
तो क्यूँ खींचता है ?
जैसे लोहा खींचे चुम्बक को ...
जज्बात शायद वजह होगी... !!
पर, इतना जज्बाती भी क्यूँ होता है कोई....
कि, जिसको देखा नहीं, सुना नहीं, छुआ नहीं...
महसूस होता है हर कहीं ..
वो एकाएक क्यूँ इतना अज़ीज़ हो जाता है... ?

सच कहती सार्थक रचना ! बधाई स्वीकार करें

Comment by coontee mukerji on March 21, 2013 at 1:53am

adarneer kumar jee, apki kavita ko parkar itna hi kah sakti hoon ki - han riste janmon janmon ka hota hai aur har janam mei pichhaa karta hai.tahbi to ham jisko kabhi dekhe bhi nahin hote hai usse anjane mei hi riste ban jate hai.bahoot sundar kavita .dhaniavaad

Comment by vijay nikore on March 21, 2013 at 1:30am

आदरणीय अमोद जी:


 कि, जिसको देखा नहीं, सुना नहीं, छुआ नहीं...
महसूस होता है हर कहीं ..
वो एकाएक क्यूँ इतना अज़ीज़ हो जाता है... ?

 

बहुत सच, बहुत ही सच कहा है आपने।

 

सादर,

विजय निकोर
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
32 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
1 hour ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
2 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
5 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
6 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
7 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
7 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
9 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
11 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान की परिभाषा कर्म - केंद्रित हो, वही उचित है। आदरणीय उस्मानी जी, बेहतर लघुकथा के लिए बधाइयाँ…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया लघुकथा हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
12 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service