For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ज़रूरी नहीं

कि हम पीटें ढिंढोरा

कि हम अच्छे दोस्त हैं

कि हमें आपस में प्यार है

कि हम पडोसी भी हैं

कि हमारे साझा रस्मो-रिवाज़ हैं

कि हमारी मिली-जुली विरासतें हैं

कतई ज़रूरी नहीं है ये

कि हम दुनिया के सामने

अपने प्यार का इज़हार करें

क्योंकि जब दोस्ती टूटती है

जब प्यार नफरत में बदलता है

तब रिश्तों में खटास आती है

तब दिल टूट जाते हैं

तब अकबका जाते हैं वे लोग

जिनके दिल मोम हैं

जो सरल हैं

जो सहज हैं

सीधे-सादे हैं

जिन्हें नहीं आती

पोलिटिक्स की क-ख-ग....

थोड़ी सी भी

इत्ती सी भी....

 

कुछ तो सोचो

ऐसे नादानों के लिए.....

Views: 435

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 12, 2013 at 12:50pm

सरल सहज सीधे साधे के लिए, सहज संवेद्नलशील ही सोचते है, उन्हें प्यार के दिखावे की जरूरत नहीं, 

सीधी सरल सहज रचना के माध्यम से सुन्दर सन्देश के लिए बधाई स्वीकारे श्री अनवर भाई 

Comment by Dr.Ajay Khare on March 12, 2013 at 11:03am

jab dil tootte hai to beech ke log maja bhi poora lete hai badhai sunder soch ke liye

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on March 12, 2013 at 7:27am

बेहतरीन साहब ...................उन्हें तो सब जो समझते हैं वो क्या कहिये आपकी संवेदनाएं ऐसे लोगों के प्रति आश्वश्त करती है के दुनिया में सज्जन आज भी हैं

जय हो बधाई हो

Comment by ram shiromani pathak on March 11, 2013 at 8:51pm

आदरणीय बहोत ही सटीक व्यंग .....हार्दिक बधाई

Comment by mrs manjari pandey on March 11, 2013 at 7:11pm

  दिखावे की संस्कृति ही चल पड़ी है क्या कीजियेगा वैसे मुर्गा खा कर पर खोंसना ज़रूरी तो नहीं . बधाई  रचना हेतु

Comment by Savitri Rathore on March 11, 2013 at 5:33pm

दिखावे की अपेक्षा वास्तविकता में प्रेम एवं सहयोग आवश्यक है और आपकी यह रचना इस तथ्य को व्यक्त करने में सक्षम है।सटीक शब्दों का प्रयोग इसे और सुन्दर बनाता है।आपको बधाई।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 11, 2013 at 1:44pm

संबन्धों में बस गये या बसाये गये शातिरपने से कवि का विद्रोह करना सुखद लगा.  बनावट और दिखावे की भीत पर फिर से साधे जा रहे दोस्ती के महल चिरजीवी नहीं होते.

जब दोस्ती टूटती है

जब प्यार नफरत में बदलता है

तब रिश्तों में खटास आती है

तब दिल टूट जाते हैं

तब अकबका जाते हैं वे लोग

जिनके दिल मोम हैं

जो सरल हैं

जो सहज हैं

सीधे-सादे हैं

जिन्हें नहीं आती

पोलिटिक्स की क-ख-ग....

थोड़ी सी भी

इन पंक्तियों से हर उस दिल की बात निकल रही है जो परस्पर प्यार को सिर्फ़ और सिर्फ़ प्यार की तरह जीना चाहता है. 

आपकी संवेदना के लिए सादर अभिनन्दन, अनवर भाई

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on March 10, 2013 at 7:54pm

आपने बिलकुल सही फ़रमाया है, पर समाज की उल्टी चाल से हम आप सभी वकिफ हैं!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"ग़ज़ल द्वेष हर दिल से मिटा कर के नतीजा देखूँ देश का हाल भला बनता है कैसा देखूँ रास्ता बीच का मजबूत…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दिनेश जी, सादर अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई।"
6 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय Chetan Prakash जी आदाब। ग़ज़ल के प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। मेरे …"
7 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय नीलेश जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये गिरह भी ख़ूब, हर शेर पे दाद क़ुबूल…"
8 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल का प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले…"
8 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही है आपने बधाई स्वीकार कीजिये गिरह भी ख़ूब हुई सादर"
8 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"2122 1122 1122 22 घर से निकलूँ कहीं बाहर जो है दुनिया देखूँ वक़्त के साथ ही ख़ुद को भी मैं चलता…"
8 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय Nilesh Shevgaonkar जी आदाब। अच्छी ग़ज़ल हुई । बधाई स्वीकार करें।"
9 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"अपने भारत के लिए मैं यही सपना देखूँ फिर इसे बनते हुए सोने की चिड़िया देखूँ मेरी हसरत है, हो हर आँख…"
9 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहता हूँ तुझसे जन्मों का नाता है ओबीओ
"गज़ब धर्म निभाया, आप ने,आदरणीय भाई लक्ष्मण सिंह मुसाफिर,  धामी जी, अनेकानेक बधाईंया !"
10 hours ago
Chetan Prakash commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"बहुत सुन्दर शास्त्रीय गीत का सृजन हुआ,  भाई,  नाथ सोनाक्ष, बधाई,  आपको, श्री  !"
10 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"मेरे  महबूब  कभी  वो  हसीं  चहरा  देखूँ   दिन भी बन जाए…"
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service