For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरी मुहब्बत थोरी जुदा हैं ,

मेरी मुहब्बत थोरी जुदा हैं ,
मेरा ये दिल तुमपे फ़िदा हैं ,
तेरी अदा मुझको तो भाए ,
तेरी सूरत मन में सजाये ,
तुही तो अब मेरा खुदा हैं ,
मेरी मुहब्बत थोरी जुदा हैं ,

तेरे लिए ही जीना ,
तेरे लिए ही मरना ,
जब तक हैं जीवन ,
तुमसे ही प्यार करना ,
प्यार तू करले प्यार ,
प्यार तू करले यार ,
कातिल बड़ी तेरी अदा हैं ,
मेरी मुहब्बत थोरी जुदा हैं ,

मैं तो ये कहना चाहू ,
बात मेरी मान जा ,
दिल मेरा क्या चाहे ,
ये तो पहचान जा ,
चाहे तू ना करे प्यार ,
चाहत में देदु जान ,
तुमसे ये मेरी वादा हैं ,
मेरी मुहब्बत थोरी जुदा हैं ,

Views: 408

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Admin on May 7, 2010 at 10:18pm
गुरू जी आप का जबाब नही है, आप से कोई बिषय अछुता नही है, आप गम्भीर बिषय पर जितनी सहजता से लिखते है, उतना ही सहजता से प्रेम बिषय पर भी लिख लेते है, यही सब खुबी आप को खाश़ बनाती है, श्रीगार रस से ऒत प्रोत आपने बहुत अच्छी कविता लिखा है,
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on May 7, 2010 at 9:09pm
waah guru jee waah.......bahut shaandar aur lajawab......
aapki mohabbat jatane ka tarika hi sabse juda hai....
aapke kavita likhne ka tarika thoda nahi sabse juda hai....
aapke dwara openbooks itni accha rachna prapt kar raha hai iske liye to aap sabse juda hai...isliye guru jee aapki mohabbat thoda nahi sabse juda hai..

bahut badhiya guru jee aisehi likhte rahe....sach puchiye to aapki rachna padhne aur sunne ki aadat si ho gayi hai...agar kisi din aapki rachna nahi aati hai to man vyakul ho jata hai ki aakhir aaj guru jee ki rachna kyu nahi aayi.....
bahut bahut dhanyabaad guru jee ee rachna khatir.........
aur sabse antim me ek baat aur kahna chahunga ki aapki mohabbat to juda hai hi lekin aap sabse juda hai.........

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on May 7, 2010 at 8:16pm
गुरु जी, आपकी मुहब्बत ही नहीं आपकी शैली भी सब से "थोरी जुदा" है ! अच्छा प्रयास है !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service