For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जूनून -ए-इश्क में आबाद, ना बर्बाद हो पाए मुहब्बत में तुम्हारी कैद ना ,आज़ाद हो पाए

दोस्तों एक गजल लिखने की कोशिश की है अपने कुछ मित्रों के सहयोग से आशा है आप लोग अवलोकित करके मुझे मार्गदर्शित करेंगे |
+++++++++++++++++++++++++++++
जूनून -ए-इश्क में आबाद, ना बर्बाद हो पाए 
मुहब्बत में तुम्हारी कैद ना ,आज़ाद हो पाए ||

कहानी तो हमारी भी बहुत ,मशहूर थी लेकिन 
जुदा होकर न तुम शीरी न हम, फरहाद हो पाए ||

न कुछ तुमने छुपाया था ,न कुछ हमने छुपाया था 
न तुम हमदर्द बन पाए ना ,हम हमराज हो पाए ||

जुदाई के लिए हम तुम बराबर हैं वजह हमदम 
जिरह तुम भी न कर पाए न हम जांबाज हो पाए ||

ग़लतफहमी हमारे दरमियाँ, बेवजह थी लेकिन 
न तुम आये मनाने को ,न हम नाराज हो पाए ||

गुरूर -ए-हुश्न में तुम थे, गुरूर-ए-इश्क में हम थे 
न हम नाचीज कह पाए, न तुम नायाब हो पाए ||

अभी भी याद आती है, नजर की वो खता पहली 
न तुम नजरे झुका पाए, न हम आदाब कह पाए ||

जूनून -ए-इश्क में आबाद, ना बर्बाद हो पाए 
मुहब्बत में तुम्हारी कैद, ना आज़ाद हो पाए ||................ manoj 
++++++++++++++++++++++++++++++++

Views: 857

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अरुन 'अनन्त' on March 1, 2013 at 11:37am

मित्रवर प्रयास हेतु आपको हार्दिक बधाई ग़ज़ल के नियमों की जानकारी के बगैर आप ऐसा लिख सकते हैं तो जानकारी होने पर आप कहर बरसा देंगे. ग़ज़ल का ज्ञान अर्जित करें सादर

Comment by mrs manjari pandey on February 28, 2013 at 11:10pm

मनोज जी  लिख रहे हैं यूँ ही लिखते जाइये।बधाई।

Comment by SALIM RAZA REWA on February 28, 2013 at 7:31pm

 जूनून -ए-इश्क में आबाद, ना बर्बाद हो पाए 
मुहब्बत में तुम्हारी कैद ना ,आज़ाद हो पाए ||

अभी भी याद आती है, नजर की वो खता पहली 
न तुम नजरे झुका पाए, न हम आदाब कह पाए ||

 

dost dono sher ki kafiaa alag hai aapne agar rdeef kafiya nahi nibhaya to gazal nahi hui ....aap bhut hi umada sait se jude hai jahan aap gazal khna  seekh sakte hai//

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on February 26, 2013 at 11:59pm

बहुत ही अच्छी कोशिश और फिक्र!  केवल थोड़ी ग़ज़ल शिल्प की जानकारी हासिल कर लें...मुझे यकीन है की आने वाले दिनों में इस मंच को एक बेहतरीन ग़ज़लकार मिलने वाला है....बहुत बहुत मुबारकबाद ।

Comment by रविकर on February 26, 2013 at 8:36am

बहुत खूब-
बधाई आदरणीय ||

Comment by Manoj Nautiyal on February 26, 2013 at 7:57am

सभी सम्मानित सुधि जानो का हार्दिक अभिनन्दन एवं धन्यवाद | मै आप सभी के सुझाओं का सम्मान करते हुए अगले प्रयास में आपको इससे भी बेहतर कर के दिखाऊंगा यह मेरी कोशिश रहेगी मान्यवर | 

Comment by वीनस केसरी on February 26, 2013 at 12:21am

अच्छी कोशिश हुई है
ऐसी ही कुछ और कोशिशें से शिल्प और कहन में और समरसता आयेगी

अभी के लिए ढेरो बधाई

कुछ आधारभूत बातों पर ध्यान दीजिए
जानकारी यत्र तत्र फ़ैली है, समेत सकेंगे तो फ़ाइदे में रहेंगे 
शुभकामनाएं


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 25, 2013 at 11:47pm

भाव और कथ्य से भली लेकिन शिल्प के लिए विशेष मशक्कत चाहती इस प्रस्तुति हेतु शुभकामनाएँ. ..

आपका प्रयास ग़ज़ल की कक्षा के पाठों से और निखरेगा.

शुभेच्छाएँ.

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on February 25, 2013 at 11:36pm
अनुमोदन के लिये दाद आभार आदरणीया राजेश जी!

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 25, 2013 at 10:54pm

मनोज जी बहुत  खूबसूरत ग़ज़ल का प्रयास किया है  विंध्येश्वरि जी सही कह रहे हैं ग़ज़ल के नियमों में इसे बांधेंगे तो ये और निखर जायेगी बहर हाल  दाद कबूल कीजिये  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 - 1212 - 22/112 देखता हूँ कि अब नया क्या है  सोचता हूँ कि मुद्द्'आ क्या…"
38 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है, मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाइये।…"
45 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदाब, मुसाफ़िर साहब, अच्छी ग़ज़ल हुई खूँ सने हाथ सोच त्यों बर्बर सभ्य मानव में फिर नया क्या है।३।…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय 'अमित' जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल के साथ मुशायरा का आग़ाज़ करने के लिए दाद के साथ…"
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी, ध्यान दिलाने का बहुत शुक्रिया। ग़ज़ल दोबारा पोस्ट कर दी है। "
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"नमन, रिया जी , खूबसूरत ग़ज़ल कही, आपने बधाई ! मतला भी खूसूरत हुआ । "मूसलाधार आज बारिश है…"
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आसमाँ को तू देखता क्या हैअपने हाथों में देख क्या क्या है /1 देख कर पत्थरों को हाथों मेंझूठ बोले वो…"
1 hour ago
Prem Chand Gupta replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"इश्क में दर्द के सिवा क्या है।रास्ता और दूसरा क्या है। मौन है बीच में हम दोनों के।इससे बढ़ कर कोई…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  ओ.बी.ओ के नियम अनुसार तरही मिसरे को मिलाकर  कम से कम 5 और…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"नमस्कार, आ. आदरणीय भाई अमित जी, मुशायरे का आगाज़, आपने बहुत खूबसूरत ग़ज़ल से किया, तहे दिल से इसके…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बेवफ़ाई ये मसअला क्या है रोज़ होता यही नया क्या है हादसे होते ज़िन्दगी गुज़री आदमी…"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"धरा पर का फ़ासला? वाक्य स्पष्ट नहीं हुआ "
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service