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मिला राज्य सम्मान- (दोहे)

-लक्ष्मण लडीवाला

तामस सात्विक राजसी, तीनो ही अभिमान, 
रावण और कुम्भ करण, तामस राजस जान।

सात्विक मन से आदमी, करे प्रभु गुणगान,
देख विभीषण को जरा, वे इसके  प्रतिमान ।

कुम्भ करण सोता रहा, दिल में भरा प्रमाद, 
अहंकार था तामसी, जीवन भर अवसाद ।

राजसी अहंकार वश, आजाये अभिमान,
अभिमानी रावण बना,रह न सका सम्मान।

रावन वीर महान था, महा भक्त गुणवान,
राजसी अहंकार वश, बच न सका अभिमान।

सात्विक अहंकारी पर, प्रभु करते है अभिमान, 
सात्विक मन विभीषण को,मिला राज्य सम्मान।

-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला,जयपुर

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Comment

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Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 20, 2013 at 12:04pm

आपको दोहे  के भाव भागए, आये,  यह जानकार हर्ष हुआ, हार्दिक आभार स्वीकारे विनीता शुक्ला जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 20, 2013 at 12:01pm

आपको दोहे पसंद आये, यह नेरा सौभग्य है, हार्दिक आभार मंजरी पाण्डेय जी 

Comment by Vinita Shukla on February 19, 2013 at 10:39pm

सुन्दर, सात्विक भावों से सजे दोहे. बधाई स्वीकार करें.

Comment by mrs manjari pandey on February 19, 2013 at 8:57pm

आदरणीय रक्ताले जी आभार। आपलोग रचना देख लेते हैं . यही बहुत है।

Comment by mrs manjari pandey on February 19, 2013 at 8:54pm

लक्ष्मण  प्रसाद जी  दोहे बहुत  अच्छे लगे  अति सुंदर बधाई।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 19, 2013 at 2:33pm
दोहे और उनके भाव पसंद कर उत्साह वर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीया राजेश जी,
"सात्विक" में संशय है, मेरा मत- कि मात्रा 5 होनी चाहिए,आपने 4 गिनी हैं हो सकता है मैं ग़लत हूँ बाकी विद्वद जन स्पष्...
"सात्विक" में मात्रा के बारे में विद्वजन का मार्गदर्शन अपेक्षित है -

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 19, 2013 at 2:21pm

बहुत ही उन्नत कोटि के भाव  हैं दोहों में हार्दिक बधाई आदरणीय 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 19, 2013 at 12:50pm

हार्दिक अबह्र डॉ अजय खरे जी, आपके अंतर्मन को रचना छू जाय यह मेरा सौभाग्य है । दिल से बधाई स्वीकारे

Comment by Dr.Ajay Khare on February 19, 2013 at 12:13pm

laxman ji sadar pranam aapke lekhan ka me kayal hu aapki lekhni se jo bhi nikalta hai antarman mai bhid jata hai badhai

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 19, 2013 at 10:49am

पुनः दिल से हार्दिक आभार श्री अशोक रक्ताले जी 

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