For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तनहाई से जंग ठनी है आ भी जाओ ना

हर आहट पे सांस थमी है आ भी जाओ ना॥

सूनी दिल की आज गली है आ भी जाओ ना॥

अरमानों के गुलशन में बस तेरा चर्चा है,

हरसू तेरी बात चली है आ भी जाओ ना॥

पूनम की इस रात में तेरी याद बहुत आती है,

तारों की बारात सजी है आ भी जाओ ना॥

आँखें प्यासी, होंठ हैं प्यासे, प्यासा मेरा मन,

दिल में भी इक प्यास दबी है आ भी जाओ ना॥

भूल गया हूँ ख़ुद को रब को और इस दुनिया को,

केवल तेरी याद बची है आ भी जाओ ना॥

तेरे बिन दिल का गुलशन वीराना लगता है,

मुरझाई चाहत की कली है आ भी जाओ ना॥

“सूरज” के ढलते ही यादें पीछा करती हैं,

तनहाई से जंग ठनी है आ भी जाओ ना॥

डॉ॰ सूर्या बाली “सूरज”

Views: 627

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on February 13, 2013 at 8:38pm

डॉ प्राची जी नमस्कार । आपको ग़ज़ल अच्छी लगी और दाद मिली इसके लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद। आजकल वक़्त कम निकाल पा रहा है इसलिए मंच पर नहीं आ पा रहा हूँ । लेकिन आप लोगों को पढ़ना भूलता नहीं ....ऐसे ही स्नेह बनाए रखेँ 

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on February 13, 2013 at 8:35pm

राजेश कुमारी जी आपकी खूबसूरत और उत्साह वर्धक प्रतिकृया के लिए आपका बहुत बहुत आभारी हूँ। आपको ग़ज़ल पसंद आई और आपकी दाद मिली बहुत अच्छा लगा। 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 13, 2013 at 8:19pm

बहुत समय बाद आपकी ग़ज़ल वो भी इतनी खूबसूरत, नाज़ुक से ख्यालों को समेटे हुए, पढ़ कर आनंद आ गया. 

हर शेर लाजवाद है, दिल को छूने वाला है.

हार्दिक दाद क़ुबूल करें सादर.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 13, 2013 at 7:09pm

हर आहट पे सांस थमी है आ भी जाओ ना॥

सूनी दिल की आज गली है आ भी जाओ ना॥

 वाह वाह क्या आगाज़ है क्या अंदाज़ है और क्या कहूँ बस इस मखमली ग़ज़ल के लिए दाद कबूल करें 

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on February 13, 2013 at 5:07pm

डॉ साहब अब उतावले नहीं होंगे तो कब होंगे....आपकी प्रतिक्रिया के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद !

Comment by Dr.Ajay Khare on February 13, 2013 at 3:54pm

suryabala ji bade utable ho rahe hai badhai utablepan ki sunder rachana ke liye

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on February 13, 2013 at 12:04pm

संदीप जी आपकी दाद कुबूल हुई और आपका तहे दिल से शुक्रिया । 

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on February 13, 2013 at 12:01pm

जी सौरभ जी आपका आशीर्वाद और प्यार मिला बहुत अच्छा लगा। आपकी प्रतिक्रिया सदैव उत्साहवर्धक होती है॥आपकी सलाह सर आँखों पे। आपका बहुत बहुत शुक्रिया॥ 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 13, 2013 at 11:59am

वाह वाह सर जी ........................अपने अंदाज में ग़ज़ब के अशआर  कहे हैं आपने 

इस खूबसूरत दिलकश ग़ज़ल के लिए ढेरों दाद क़ुबूल करें सर जी 

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 13, 2013 at 11:06am

ग़ज़ब ! .. तो आज जा कर एक शायर फिर से अपनी पे आया है ! और क्या आया है !! बसंती बयार के मनोरम बहाव में प्रेम तरंग की नकधुन्नी इतनी दिलकश है कि सुनने वाला बिना इण्डक्टेड हुए नहीं रह सकता. इन अश’आर पर तो बस मस्त हूँ -

 

पूनम की इस रात में तेरी याद बहुत आती है, .....        [शायद है न होता ..
तारों की बारात सजी है आ भी जाओ ना॥

 

आँखें प्यासी, होंठ हैं प्यासे, प्यासा मेरा मन,
दिल में भी इक प्यास दबी है आ भी जाओ ना॥

आखिरी शेर में रवानगी थोड़ी हचकती है. शब्द-संयोजन का मामला हो सकता है. मग़र मक्ता फिर से वाह-वाह है.. .

बधाई-बधाई-बधाई .. सूरज साहब ढेर सारी दाद कुबूल करें.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service