For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कटेगी सिर्फ़ दिलासों से ज़िंदगी कब तक

कटेगी सिर्फ़ दिलासों से ज़िंदगी कब तक।

रहेगी लब पे ग़रीबों के खामुशी कब तक॥

 

वरक़ पे आने को बेताब हो रहा है अब,

रहेगा हाशिये पे आम आदमी कब तक॥

 

न जाने कब ये बुराई का सिर क़लम कर दें,

सहेंगे लोग सियासत की गंदगी कब तक॥

 

मुझे डराएगा अब और कब तलक दुश्मन,

रहेगी खौफ़ के साये में हर खुशी कब तक॥

 

दमक रही है उजालों से शहर की बस्ती,

न जाने पहुंचेगी गाँवों में रौशनी कब तक॥

 

के माना दौरे-अमीरी है शानदार बहुत,

घुटन के दौर से निकलेगी मुफ़लिसी कब तक॥

 

ख़ुदा तलाश करो आएगा नज़र दिल में,

करोगे मील के पत्थर की बंदगी कब तक॥

 

शहीद होते रहें, मसअले का हल तो नहीं,

निभाई जाएगी सरहद पे दुश्मनी कब तक॥

 

निकल तो आयेगा “सूरज” भी सुब्ह होने तक,

अमीरे शहर बचाएगा चाँदनी कब तक॥

                       

डॉ॰ सूर्या बाली “सूरज”

Views: 436

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on December 17, 2012 at 9:47am

आदरणीय डॉक्टर साहब

                            सादर, बहुत सुन्दर गजल. बरबस मुझे एक गीत कि  पंक्ति याद आ रही है " वो सुबहा कभी तो आयेगी वो सुबह............" हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 11, 2012 at 1:33pm

मुझे डराएगा अब और कब तलक दुश्मन,

रहेगी खौफ़ के साये में हर खुशी कब तक॥

 बहुत खूब 

बधाई, सर जी 

काफिया रदीफ जाना 

सिखाते रहिये 

Comment by वीनस केसरी on December 11, 2012 at 12:32am

बेहद शानदार ग़ज़ल है भाई वाह वाह वा
क्या कहने ....

एक एक शेअर को कई कई बार पढ़ा और झूम झूम गया
शुरुआत के कई अशआर तो बेहद खूबसूरत हुए हैं
मज़ा आ गया
तहे दिल से दाद क़ुबूल करें

 

करोगे ईंट पत्थरों की बंदगी कब तक॥.... भाई, इस मिसरे पर नज़रे सानी फरमा लें

Comment by ajay sharma on December 10, 2012 at 10:52pm

शहीद होते रहें, मसअले का हल तो नहीं,

निभाई जाएगी सरहद पे दुश्मनी कब तक॥   wah wah wah 

Comment by नादिर ख़ान on December 10, 2012 at 3:48pm

शहीद होते रहें, मसअले का हल तो नहीं,

निभाई जाएगी सरहद पे दुश्मनी कब तक॥

 

निकल तो आयेगा “सूरज” भी सुब्ह होने तक,

अमीरे शहर बचाएगा चाँदनी कब तक॥

उम्दा रचना के लिए बधाई स्वीकार करे भाई सूर्या बाली जी ..

 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 10, 2012 at 3:01pm

निकल तो आयेगा “सूरज” भी सुब्ह होने तक,

अमीरे शहर बचाएगा चाँदनी कब तक॥

बहुत खूब सर जी, बधाई 

         

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 10, 2012 at 2:32pm

वाह वाह वाह आदरणीय बाली साहब आपकी पोटली से निकली और ह्रदय के भीतर जा बसी आपकी यह ग़ज़ल, ढेरों-2 दाद कुबूल करें.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
5 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Jul 29
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service